Norway Electric Car: विश्वभर में पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को एक बढ़िया ऑप्शन के रूप में देखा जा रहा है। भारत सहित विश्व के कई देश इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं जिसमें सरकारी सब्सिडी का भी योगदान है।
नॉर्वे का अग्रणी कदम
नॉर्वे एक तेल और गैस उत्पादक देश होने के बावजूद इलेक्ट्रिक वाहनों के अपनाने में विश्व स्तर पर अग्रणी है। नॉर्वे ने हाल ही में यह उपलब्धि हासिल की है कि वहां पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या पेट्रोल वाहनों को पार कर गई है।
बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहन संख्या के पीछे के कारण
नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण सरकारी नीतियाँ हैं जैसे कि कर में छूट सार्वजनिक परिवहन लेनों में एक्सेस और पार्किंग छूट (government incentives)। यह नीतियां इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को अधिक आकर्षक बनाती हैं।
नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रसार
नॉर्वे की सरकार ने 2025 तक शून्य-उत्सर्जन वाहनों की बिक्री का लक्ष्य रखा है। अगस्त 2024 में नए पंजीकृत वाहनों में 94.3% इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हुए हैं जो कि एक रिकॉर्ड है (high percentage of electric vehicle registrations)।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी और लंबे समय तक उपयोगिता
टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के अनुसार एक इलेक्ट्रिक कार की बैटरी 18-20 साल तक चल सकती है, जो कि इलेक्ट्रिक वाहनों की लंबे समय तक उपयोगिता को दर्शाती है (longevity of electric vehicle batteries)।
नॉर्वे की टैक्स नीतियाँ और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन
नॉर्वे में उच्च उत्सर्जन वाली कारों के लिए ज्यादा टैक्स और शून्य-उत्सर्जन वाहनों के लिए कम टैक्स की नीति ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी को और भी किफायती बना दिया है (tax incentives for EVs)।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर
नॉर्वे में विस्तृत चार्जिंग नेटवर्क और ‘चार्जिंग अधिकार’ कानून ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सहायता मिली है