रेलवे की ओर से वेटिंग टिकट पर स्लीपर कोच में सफर करने वालों पर अब सख्ती की जा रही है. उनसे जुर्माना वसूलने के साथ ही कोच से उतारा भी जा रहा है. ऐसे में यात्रियों के कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब वे तलाश रहे हैं. चलिए जानते हैं इन सवालों से जुड़ी खास जानकारी के बारे में.
पिछले दिनों संसद में ये मुद्दा उठा था कि ट्रेनों में कन्फर्म सीटें नहीं मिल रही हैं. वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को जबरन किसी भी कोच में भर दिया जाता है, ऐसे में कन्फर्म सीट वालों को भी यात्रा करने में दिक्कत होती है. कन्फर्म टिकट वाले लोगों को हर दिन ट्रेनों में परेशानी का सामना करना पड़ता है. रेलवे प्रशासन को हर दिन ऐसी शिकायतें मिल रही हैं. संसद में मुद्दा गरमाने के बाद अब रेलवे प्रशासन हरकत में आया है. ऐसे में वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले सावधान हो जाएं. अब वे वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर में यात्रा नहीं कर सकते हैं. रेलवे ने इस पर सख्ती शुरू कर दी है. जुर्माना लगाने के साथ ही उन्हें जनरल कोच में भी शिफ्ट किया जा रहा है. वहीं यात्री वेटिंग टिकट से जुड़े कुछ सवालों के जवाब भी तलाश रहे हैं.
आपको बता दें कि रेलवे का ये नियम नया नहीं है. ये नियम अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है, बस इसका सख्ती से क्रियान्वयन अब शुरू हुआ है. अब विंडो वेटिंग टिकट से स्लीपर में यात्रा नहीं कर पाएंगे यात्री ने अगर ऑनलाइन वेटिंग टिकट लिया है तो कन्फर्म न होने पर टिकट अपने आप कैंसिल हो जाता है और पैसे वापस मिल जाते हैं, लेकिन अभी तक लोगों को लगता है कि अगर वे विंडो से वेटिंग टिकट भी लेते हैं तो वे ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा करने के हकदार हैं। हकीकत में ऐसा बिल्कुल नहीं है।
रेलवे ने फिर पुष्टि की है कि विंडो का वेटिंग टिकट भी स्लीपर कोच में यात्रा करने की अनुमति नहीं देता है। इस टिकट से सिर्फ जनरल कोच में ही यात्रा की जा सकती है। ऐसे में अगर कोई वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा करता है तो वह सजा का हकदार होगा। रेलवे कितना जुर्माना लगा सकता है? रेलवे अधिकारियों का कहना है कि चेकिंग के दौरान टीटीई यात्रा की गई दूरी के हिसाब से जुर्माना वसूल सकता है और इसके साथ ही अगर यात्री वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में यात्रा कर रहा है तो उसे जनरल कोच में भेजा जा सकता है, क्योंकि इस टिकट से सिर्फ जनरल कोच में ही यात्रा की अनुमति मिलती है। उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनों में जीआरपी और आरपीएफ की गश्त बढ़ा दी गई है, ताकि वेटिंग टिकट वाले यात्री कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों के लिए परेशानी का सबब न बनें।
बड़ी संख्या में वेटिंग टिकट क्यों जारी किए जा रहे हैं?
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अलग-अलग ट्रेनों में वेटिंग टिकट बुक करने की व्यवस्था है। कोच में वेटिंग टिकट भी इसलिए मिलते हैं, क्योंकि अगर कन्फर्म सीट वाला यात्री टिकट कैंसिल कराता है, तो ऐसे यात्रियों को यात्रा करने की सुविधा दी जाती है, ताकि रेलवे को घाटा न हो, इसीलिए रेलवे वेटिंग टिकट भी देता है। हालांकि, जब ट्रेन में कन्फर्म टिकट धारकों की संख्या सीटों के बराबर होती है, तो वेटिंग टिकट धारकों को जनरल कोच में ही यात्रा करने की अनुमति दी जाती है।
अगर एक सीट कन्फर्म है और बाकी वेटिंग में हैं, तो यह छूट दी जा सकती है.
रेलवे के जानकारों का कहना है कि अगर विंडो टिकट बनता है, तो स्लीपर कोच में अगर एक ही पीएनआर पर दो से तीन यात्रियों की टिकट बुक है और सिर्फ एक सीट कन्फर्म है, तो भी वेटिंग यात्री उस यात्री के साथ यात्रा कर सकते हैं। यात्री उसे अपनी सीट पर यात्रा करा सकता है। ऐसे यात्रियों की वेटिंग टिकट तभी कन्फर्म होती है, जब कन्फर्म टिकट वाला यात्री अपनी टिकट कैंसिल कराता है। फिर आरएसी सीटों की व्यवस्था की जाती है। आरएसी टिकट लेकर यात्री ट्रेन में कन्फर्म सीट पर आराम से यात्रा कर सकता है।
एक ट्रेन में कितने वेटिंग टिकट जारी किए जाते हैं?
रेलवे के अलग-अलग जोन में निर्धारित सीटों की संख्या के हिसाब से वेटिंग टिकट देने की व्यवस्था है। साउथ जोन की ट्रेनों में अधिकतम 10% वेटिंग टिकट दिए जाते हैं, जबकि नॉर्थ जोन की कई ट्रेनों में स्लीपर कोच में सीटों की संख्या के बराबर वेटिंग टिकट बुक किए जाते हैं। अगर पुष्पक एक्सप्रेस की बात करें तो इसमें पांच स्लीपर कोच हैं और इसमें करीब 360 कन्फर्म टिकट हो सकते हैं, लेकिन इतनी ही संख्या में वेटिंग टिकट भी दिए जाते हैं, इसलिए इस ट्रेन में कन्फर्म सीट वाले यात्रियों को भी वेटिंग पर यात्रा करने वाले यात्रियों की वजह से यात्रा में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वेटिंग को लेकर अब ये तैयारी हो रही है रेलवे बोर्ड को सुझाव दिया गया है कि कन्फर्म टिकटों से दस फीसदी अधिक वेटिंग टिकट ही जारी किए जाएं। इसके लिए रेलवे एआई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है। मान लीजिए अगर 44 वेटिंग हैं तो 40 टिकट कन्फर्म होने के बाद सिर्फ दस फीसदी टिकट यानी चार वेटिंग ही बचेंगे। इससे वेटिंग लिस्ट लंबी नहीं होगी और यात्रियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि रेलवे इस पर काफी तेजी से काम कर रहा है। इसे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम नाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि दिसंबर तक रेलवे इसे कुछ मंडलों में लागू करने की तैयारी में है।
वेटिंग टिकट है और सीट खाली है तो क्या करें?
अगर आपका टिकट वेटिंग में है और स्लीपर में कोई सीट खाली है तो आप सीधे टीटीई से बात करें। आपको यह सीट मिल जाएगी। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त पैसा देने की जरूरत नहीं है। वेटिंग अब सिर्फ जनरल में यात्रा करने के लिए ही मान्य उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि विंडो वेटिंग टिकट सिर्फ जनरल कोच में यात्रा करने के लिए ही मान्य है। अगर किसी यात्री के पास विंडो वेटिंग टिकट है तो वह स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करने के लिए पात्र नहीं है। कोई तभी यात्रा कर सकता है जब उसके पास आरएसी या कन्फर्म सीट हो।
हां, यह सही है कि अगर एक पीएनआर पर पांच से छह यात्रियों के टिकट हैं और उनमें से एक भी कन्फर्म है तो सभी यात्री कोच में यात्रा कर सकते हैं। वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले यात्री कन्फर्म सीट वाले यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं। आरपीएफ भी ट्रेन में गश्त करती है। टीटीई वेटिंग यात्री को या तो अगले स्टेशन पर उतार देता है या फिर उसे जनरल कोच में भेज देता है और जुर्माना भी वसूलता है। यात्रियों से अपील है कि वे वेटिंग टिकट लेकर जनरल कोच में ही यात्रा करें।