रबी सीजन की प्याज की खेती के लिए अक्टूबर का माह सबसे उत्तम माना जाता है आज हम आपको प्याज की एक ऐसी किस्म के बारे में बता रहे है जिसकी खेती से उपज और कमाई दोनों जबरदस्त प्राप्त होती है। तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते है।
अक्टूबर में प्याज की खेती से होगी तरक्की
प्याज की खेती के लिए अक्टूबर का महीने सबसे अच्छा माना जाता है प्याज की खेती में सबसे जरुरी बात है अच्छी किस्म के बीजों का चयन करना क्योकि एक अच्छी किस्म न केवल उपज अछि देती है बल्कि उसकी भंडारण क्षमता भी अधिक और उच्च होती है। जिससे कई समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है। आज हम आपको प्याज की एक बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली किस्म के बारे में बता रहे है ये किस्म मध्यम उत्कृष्ट भंडारण क्षमता वाली होती है और मौसम के उतार-चढ़ाव के प्रति सहिष्णु है प्याज की इस किस्म का नाम भीमा शुभ्रा सफेद है ये सफेद प्याज की एक हाइब्रिड किस्म है।

प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म
प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म व्यावसायिक खेती के लिए बहुत लाभकारी होती है इसकी खेती के लिए पहले इसकी खेती के बारे में जानना आवश्यक है प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म की खेती खरीफ और रबी दोनों में मौसम में की जा सकती है। प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म की खेती के लिए उचित पानी निकास वाली बलुई दोमट मृदा सबसे उत्कृष्ट होती है जिसमें pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती उठी हुई क्यारियों पर करना चाहिए इसकी बुवाई के लिए स्वस्थ कंद का प्रयोग करना चाहिए। इसकी खेती में जैविक खाद का उपयोग करना लाभकारी साबित होता है। एक हेक्टेयर बुवाई के लिए लगभग 8–10 किलोग्राम बीज पर्याप्त हो सकते है। इसकी बुवाई से पहले खेत की 2–3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा कर कर के उसमे सड़ी गोबर की खाद डालना चाहिए। इसकी फसल पकने से 10–15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देना चाहिए ताकि प्याज का आकार और भंडारण क्षमता बढ़ सके। बुवाई के बाद प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म की फसल लगभग 3 से 3.5 महीने में तैयार हो जाती है।
शानदार होगी पैदावार
प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म की खेती से बहुत शानदार पैदावार देखने को मिलती है ये सफेद प्याज है इसका दाम बाजार में अच्छा प्राप्त होता है एक हेक्टेयर में प्याज की भीमा शुभ्रा किस्म की खेती करने से लगभग 250–300 क्विंटल तक प्याज का उत्पादन मिलता है। आप इसकी खेती से कम से कम 3 से 3.5 लाख रुपए की कमाई आराम से कर सकते है। ये प्याज की एक उच्च भंडारण क्षमता वाली वैरायटी है। इसकी खेती के बारे में किसानों को जरूर सोचना चाहिए।