मरीजों के लिए बड़ी राहत! डॉक्टरों की ‘कोड वर्ड’ वाली लिखावट का खेल अब खत्म होने वाला है। NMC के नए आदेश के अनुसार अब पर्ची पर दवाओं का नाम साफ और बड़े अक्षरों में लिखना अनिवार्य होगा। जानें क्या है यह नया नियम और कैसे यह आपको गलत दवाओं के खतरे से बचाएगा।
डॉक्टरों की खराब राइटिंग के कारण अक्सर मरीजों और फार्मासिस्टों को दवा समझने में दिक्कत होती थी, जिससे गलत इलाज का खतरा बना रहता था। अब इस समस्या को दूर करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब डॉक्टरों को दवा की पर्ची बिल्कुल साफ और पढ़ने योग्य अक्षरों में लिखनी होगी। इसकी निगरानी के लिए हर मेडिकल कॉलेज में एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी। एनएमसी का मानना है कि इस कदम से न केवल इलाज में होने वाली देरी कम होगी, बल्कि गलत दवाइयों की वजह से मरीजों की जान पर आने वाले खतरे को भी रोका जा सकेगा।
डॉक्टरों की लिखावट पर NMC की सख्ती
डॉक्टरों की खराब लिखावट (Handwriting) अब मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है, क्योंकि कई बार दवा का नाम समझ न आने पर गलत इलाज होने का खतरा रहता है। इसी समस्या को देखते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने सभी मेडिकल कॉलेजों को एक खास कमेटी बनाने का आदेश दिया है।
यह कमेटी समय-समय पर डॉक्टरों की पर्चियों की जांच करेगी कि वे पढ़ने लायक हैं या नहीं। एक्सपर्ट्स और अदालतों का भी मानना है कि साफ पर्ची न होने से मरीजों को सही समय पर सही दवा नहीं मिल पाती, जो एक गंभीर समस्या है।
अब साफ अक्षरों में पर्ची लिखना होगा जरूरी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की खराब लिखावट पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि साफ और पढ़ने योग्य पर्ची लिखना मरीज का अधिकार है। कोर्ट के अनुसार, अस्पष्ट लिखावट संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है। डॉक्टरों की खराब हैंडराइटिंग के कारण अक्सर केमिस्ट दवाओं के नाम या उनकी सही खुराक नहीं समझ पाते, जिससे मरीजों को गलत दवा मिलने का बड़ा खतरा रहता है। इसी जोखिम को देखते हुए अदालत ने डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे मेडिकल नियमों का पालन करें और स्पष्ट पर्चियां ही जारी करें।
NMC ने जारी किए नए निर्देश
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने अब डॉक्टरों के पर्चे सुधारने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अब हर मेडिकल कॉलेज में एक कमेटी बनाई जाएगी जो नियमों के खिलाफ लिखे गए पर्चों की जांच करेगी और कमियां पाए जाने पर सुधार की सलाह देगी।
इतना ही नहीं, अब मेडिकल छात्रों को विशेष रूप से पढ़ाया जाएगा कि वे साफ और पढ़ने योग्य पर्चे कैसे लिखें। नियमों के मुताबिक, डॉक्टरों को दवाएं ‘जेनेरिक नाम’ से और स्पष्ट अक्षरों (हो सके तो कैपिटल लेटर) में लिखनी होंगी। यह नियम पहले से था, लेकिन अब इसे और भी सख्ती से लागू किया जा रहा है ताकि मरीजों को दवा समझने में कोई परेशानी न हो।
सावधान! बिना नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर वाली डॉक्टर की पर्ची है अमान्य
नियमों के अनुसार, कोई भी मेडिकल स्टोर बिना वैध डॉक्टर की पर्ची के दवा नहीं दे सकता। कानून कहता है कि हर डॉक्टर के लिए यह अनिवार्य है कि वह पर्ची पर साफ अक्षरों में दवा लिखे और उस पर अपना नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर जरूर दर्ज करे। बिना रजिस्ट्रेशन के पर्ची जारी करना गैरकानूनी है। यदि आपको ऐसी पर्ची मिलती है जिस पर डॉक्टर की पूरी जानकारी नहीं है, तो आप इसकी शिकायत सीधे मेडिकल काउंसिल या जिला चिकित्सा अधिकारी से कर सकते हैं। यह आपकी सुरक्षा और सही इलाज के लिए बेहद जरूरी है।
अब समझ में आएगी दवाइयों की पर्ची
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने साफ किया है कि डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली दवाइयों की पर्ची एकदम साफ और पढ़ने लायक होनी चाहिए ताकि मरीज को गलत दवा मिलने का खतरा न रहे। एनएमसी का मानना है कि भविष्य में डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन और ऑनलाइन हेल्थ रिकॉर्ड आने से पर्चियों में होने वाली गलतियां खत्म हो जाएंगी। लेकिन जब तक यह पूरी तरह लागू नहीं होता, तब तक हाथ से लिखी जाने वाली हर पर्ची का स्पष्ट होना बहुत जरूरी है ताकि इलाज सुरक्षित और सटीक रहे।
आखिर डॉक्टर की लिखावट इतनी खराब क्यों होती है? सामने आई असली वजह
डॉक्टरों की पर्ची पर लिखावट साफ न होने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला कारण है सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भारी बोझ, जहाँ डॉक्टरों के पास समय की कमी होती है और वे तेजी से काम निपटाने के चक्कर में जल्दी-जल्दी लिखते हैं। वहीं, दूसरा बड़ा कारण दवाइयों का कमीशन और निजी नर्सिंग होम की सेटिंग है। कई बार डॉक्टर जानबूझकर ऐसी लिखावट में लिखते हैं जिसे सिर्फ उनके पास वाला फार्मासिस्ट ही समझ सके। इससे मरीज को मजबूरन उसी दुकान से दवा खरीदनी पड़ती है, जिससे डॉक्टर को बिक्री पर कमीशन मिलता है।
