Kashi Bauni Sem Kismein: भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी भारत की प्रमुख कृषि संस्थाओं में से एक है, जो सब्जियों की उन्नत किस्मों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य किसानों को ऐसी किस्में उपलब्ध कराना है जो कम लागत में ज्यादा उत्पादन दें, रोग प्रतिरोधक हों और स्थानीय जलवायु में आसानी से अनुकूल हो सकें। सेम (Indian Bean या Pole Bean) एक ऐसी लोकप्रिय सब्जी है जो उत्तर भारत में रबी और खरीफ दोनों सीजन में उगाई जाती है। IIVR ने “काशी बौनी” सीरीज की बौनी (bushy) किस्में विकसित की हैं, जो बिना मचान के उगाई जा सकती हैं।
यह लेख काशी बौनी सेम-3, काशी बौनी सेम-9, काशी बौनी सेम-14, काशी बौनी सेम-18 (बैंगनी फूल वाली) और काशी बौनी सेम-207 जैसी प्रमुख किस्मों पर केंद्रित है। हम इनकी विशेषताओं, फूलों के रंग, उत्पादन क्षमता, खेती की विधि, लाभ और बीज कैसे प्राप्त करें, इसकी पूरी जानकारी देंगे। ये किस्में IIVR द्वारा वर्षों के अनुसंधान से विकसित की गई हैं और देशभर में किसानों द्वारा अपनाई जा रही हैं। इनकी खासियत है उच्च पैदावार, रोग प्रतिरोधकता और कम लागत में खेती। अगर आप सेम की खेती करना चाहते हैं, तो ये किस्में आपके लिए वरदान साबित होंगी।
काशी बौनी सीरीज का परिचय, क्यों है यह क्रांतिकारी
IIVR, वाराणसी ने सेम की खेती में क्रांति लाने के लिए काशी बौनी सीरीज विकसित की है। पारंपरिक सेम की बेलें लंबी होती हैं, जिन्हें मचान या बाँस की जरूरत पड़ती है। इससे मजदूरी और सामग्री की लागत बढ़ जाती है, साथ ही तूफान या बारिश में मचान गिरने का खतरा रहता है। लेकिन काशी बौनी किस्में बौनी (bush type) होती हैं, जिनकी ऊँचाई 60-80 सेमी तक ही रहती है। पौधे झाड़ीनुमा फैलते हैं, इसलिए सहारे की जरूरत नहीं। यह किस्में उच्च तापमान और DYMV (डाउन मिल्ड्यू वायरस) जैसे रोगों के प्रति सहनशील होती हैं। इनकी पैदावार 350-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जो पारंपरिक किस्मों से 20-30% ज्यादा है।
काशी बौनी सेम-3: शुरुआती पैदावार की मिसाल
काशी बौनी सेम-3 IIVR की पहली बौनी किस्मों में से एक है, जो 2010 के आसपास विकसित की गई। यह वैरायटी उच्च तापमान और DYMV रोग के प्रति सहनशील है। पहली तुड़ाई 80-85 दिन में हो जाती है और मुख्य फसल दिसंबर से मार्च तक चलती है। पौधे की ऊँचाई 60-70 सेमी रहती है और फूल सफेद होते हैं। फलियाँ लंबी (15-20 सेमी), हरी और 250-300 प्रति पौधा तक आती हैं। पैदावार 350-380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म छोटे खेतों और मिश्रित खेती के लिए आदर्श है। बुवाई का समय अक्टूबर-नवंबर है और रोपाई 30×30 सेमी दूरी पर करें। सिंचाई हर 7-10 दिन और खाद में गोबर मिलाकर दें। बाजार में यह वैरायटी 20-30 रुपये किलो बिकती है।
काशी बौनी सेम-9: तेज पैदावार और रोग प्रतिरोध
काशी बौनी सेम-9 भी DYMV और उच्च तापमान के प्रति टॉलरेंट है। पहली तुड़ाई 70-75 दिन में होती है, जो सेम-3 से पहले है। मुख्य फसल दिसंबर से मार्च तक रहती है। पौधे की ऊँचाई 60-70 सेमी, फूल सफेद और फलियाँ 15-18 सेमी लंबी। पैदावार 350-380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। यह किस्म शुरुआती बाजार के लिए अच्छी है, क्योंकि जल्दी तैयार हो जाती है। खेती की विधि वही है – दोमट मिट्टी, गोबर खाद और नियमित सिंचाई। कीटों से बचाव के लिए नीम स्प्रे करें। ये किस्में झाड़ीनुमा होती हैं, जिनकी ऊँचाई कम रहती है और पौधे फैलकर बढ़ते हैं। इससे किसान भाइयों को बुवाई से कटाई तक आसानी होती है और पैदावार भी अच्छी मिलती है।
काशी बौनी सेम-14: स्थिर पैदावार और आसान खेती
काशी बौनी सेम-14 IIVR की नई किस्मों में से एक है, जो 2015 के आसपास रिलीज हुई। यह भी बौनी प्रकार की है, ऊँचाई 65-75 सेमी। फूल सफेद और फलियाँ 14-16 सेमी लंबी। पहली तुड़ाई 75-80 दिन में। पैदावार 340-370 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। DYMV रोग के प्रति मजबूत। खेती में कम पानी की जरूरत, इसलिए सूखाग्रस्त इलाकों में अच्छी।
काशी बौनी सेम-18: बैंगनी फूल वाली अनोखी किस्म
काशी बौनी सेम-18 सीरीज की खास वैरायटी है, जिसमें फूल बैंगनी रंग के होते हैं। यह दिखने में सुंदर और पैदावार में मजबूत है। ऊँचाई 60-70 सेमी, फलियाँ 15-18 सेमी लंबी। पहली तुड़ाई 75-80 दिन में। पैदावार 340-360 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। DYMV और उच्च तापमान सहनशील। बैंगनी फूलों से किसान इसे आसानी से पहचान सकते हैं। खेती की विधि समान – मिश्रित खेती में अच्छी चलती है।
काशी बौनी सेम-207: नवीनतम और उच्च पैदावार वाली किस्म
काशी बौनी सेम-207 2024 में रिलीज हुई नई वैरायटी है। यह पूरी तरह बौनी है, ऊँचाई 65-70 सेमी, मचान की जरूरत नहीं। फूल सफेद, फलियाँ 15-20 सेमी लंबी। पैदावार 350-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। DYMV और उच्च तापमान के प्रति मजबूत। यह किस्म छोटे खेतों में भी अच्छी चलती है।
बुवाई: अक्टूबर-नवंबर में। बीज दर 25-30 किलो प्रति हेक्टेयर। दूरी 30×30 सेमी। मिट्टी दोमट। खाद: 20 टन गोबर + NPK। सिंचाई: हर 7-10 दिन। कीट नियंत्रण: नीम स्प्रे। कटाई: 70-85 दिन में। इन किस्मों से पैदावार ज्यादा और लागत कम।
बीज कैसे प्राप्त करें – संपर्क और तरीके
बीज IIVR वाराणसी से मिलते हैं। पता: भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, पोस्ट बॉक्स नं. 01, पोस्ट ऑफिस जक्खिनी (शाहंशाहपुर), वाराणसी – 221305, उत्तर प्रदेश। फोन: +91-542-2635236, 2635237। ईमेल: director.iivr@icar.gov.in / iivr.varanasi@gmail.com। वेबसाइट: https://iivr.icar.gov.in। बीज विक्रय केंद्र पर जाएँ या किसान मेलों में लें। ऑनलाइन ‘Seed Portal’ से चेक करें। स्टॉक के लिए पहले कॉल करें।
इस बीज को अपनाएँ और लाभ उठाएँ
काशी बौनी सीरीज की ये किस्में सेम की खेती में क्रांति ला रही हैं। बिना मचान के उगाएँ, कम मेहनत में ज्यादा पैदावार पाएँ। IIVR से संपर्क करें और इन किस्मों को अपनाएँ।
