अभिनव अरोड़ा, एक 10 वर्षीय बाल संत बाबा, हाल ही में स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा सार्वजनिक रूप से डांटे जाने के कारण चर्चा में हैं। यह घटना तब हुई जब अभिनव ने एक धार्मिक समारोह में मंच पर नृत्य किया और भजन गाए। स्वामी रामभद्राचार्य ने उन्हें मंच से उतरने का निर्देश दिया, जिसे उन्होंने बार-बार दोहराया। इसके बाद, स्वामी ने अभिनव को “मूर्ख” कहा और उनकी आध्यात्मिकता पर सवाल उठाया।
अभिनव अरोड़ा का परिचय
शुरुआत: अभिनव अरोड़ा का जन्म 2014 में हुआ था और उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा तीन साल की उम्र में शुरू की थी। वह भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति के लिए जाने जाते हैं। उनके इंस्टाग्राम पर लगभग एक मिलियन फॉलोअर्स हैं, और वह भारत के सबसे युवा आध्यात्मिक वक्ताओं में से एक माने जाते हैं।
सोशल मीडिया प्रभाव: अभिनव की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, जहाँ वह कई राजनीतिक नेताओं और बॉलीवुड सितारों के साथ तस्वीरें साझा करते हैं। हालांकि, उनकी आध्यात्मिकता को लेकर कई लोग संदेह भी व्यक्त करते हैं, यह कहते हुए कि उनके पिता, जो एक उद्यमी और प्रेरक वक्ता हैं, उनके इस सफर में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य की प्रतिक्रिया
स्वामी रामभद्राचार्य ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि बच्चों का इस तरह से प्रवचन करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अभिनव को “इतना मूर्ख लड़का” कहा और उनके दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या भगवान उनके साथ पढ़ाई करेंगे। इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर विवाद को जन्म दिया है, जहाँ कुछ लोग अभिनव के समर्थन में खड़े हुए हैं जबकि अन्य उनकी आलोचना कर रहे हैं।
अभिनव का जवाब
अभिनव ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि यह वीडियो नया नहीं है और यह लगभग एक साल पुराना है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी रामभद्राचार्य ने उन्हें डांटने के बाद आशीर्वाद भी दिया था। उन्होंने अपने आलोचकों से पूछा कि क्या किसी ने कभी अपने माता-पिता या गुरु से डांट नहीं खाई है?
अभिनव ने स्पष्ट किया कि वह स्कूल जाते हैं लेकिन उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के कारण स्कूल जाने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने कहा, “मेरी बहन भी मेरी वजह से स्कूल नहीं जा पा रही है,” जो दर्शाता है कि इस विवाद का उनके व्यक्तिगत जीवन पर भी प्रभाव पड़ा है।
विवाद का प्रभाव
यह घटना न केवल अभिनव की व्यक्तिगत जिंदगी को प्रभावित कर रही है बल्कि समाज में बच्चों की धार्मिकता और उनके अधिकारों पर भी बहस छेड़ रही है। कुछ लोग इसे बच्चों की स्वतंत्रता को सीमित करने का प्रयास मानते हैं जबकि अन्य इसे उचित मानते हैं।
अभिनव अरोड़ा की कहानी एक युवा बच्चे की यात्रा को दर्शाती है जो अपनी आध्यात्मिकता को साझा करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके साथ ही उसे आलोचना और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणियाँ इस बात को उजागर करती हैं कि धार्मिक क्षेत्र में बच्चों की भूमिका को लेकर समाज में विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं।