सोलर पैनल द्वारा बिजली का निर्माण सौर ऊर्जा की सहायता से किया जाता है, सोलर पैनल में इस प्रकार के सेल होते हैं, जो सौर ऊर्जा को बिजली में बदल देते हैं।
सूर्य ऊर्जा का एक बड़ा प्राकृतिक स्रोत होता है, यह अरबों सालों से पृथ्वी को प्रचुर मात्रा में ऊर्जा प्रदान करता आया है, इस ऊर्जा के कारण ही जीवन संभव भी है, क्योंकि पेड़ों में होने वाली फोटोसिन्थेसीस प्रक्रिया सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के कारण हो होती है। सौर ऊर्जा को इसलिए ही भविष्य की ऊर्जा भी कहा जाता है। सौर ऊर्जा के माध्यम से आज के समय में अनेक कार्य किए जा सकते है, ऐसे उपकरणों का निर्माण किया गया है, जिनका प्रयोग करने के लिए सौर ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सोलर पैनल में ऐसा क्या होता है जो धूप को बिजली बना देती है? यहाँ जानें।
सोलर पैनल क्या होते हैं?
सोलर पैनल के द्वारा सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है, सोलर पैनल की सबसे पारंपरिक तकनीक पॉलीक्रिस्टलाइन है, सोलर पैनल के द्वारा बिजली को दिष्ट धारा के रूप में निर्मित किया जाता है, सोलर पैनल मुख्यतः पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन एवं बाइफेशियल प्रकार के होते हैं, इनमें बाइफेशियल सोल रपैनल सबसे एडवांस सोलर पैनल होते हैं। ऐसे सोलर पैनल के द्वारा कम रोशनी में भी बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। मोनोक्रिस्टलाइन एवं बाइफेशियल प्रकार के सोलर पैनल खराब मौसम में भी बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।
सोलर पैनल किसी भी सोलर सिस्टम या उपकरण के सबसे महत्वपूर्ण भाग होते हैं, इनके द्वारा धूप से बिजली बनाई जाती है, सोलर पैनल के प्रयोग से बनने वाली बिजली के द्वारा ही जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल, डीजल आदि) की निरबढ़ता को खत्म किया जा सकता है। सोलर पैनल के द्वारा सिर्फ सूर्य की ऊर्जा के द्वारा ही कार्य किया जाता है। सोलर पैनल के द्वारा पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखा जा सकता है, इनके अधिक से अधिक प्रयोग से ही हरित भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है। सोलर पैनल द्वारा कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है।
सोलर पैनल में ऐसा क्या होता है जो धूप को बिजली बना देती है?
सोलर पैनल के अंदर सोलर सेल लगे होते हैं, जिन्हें फोटोवोल्टिक सेल (PV Cell) भी कहा जाता है। सोलर सेल मुख्य रूप से अर्द्धचालक पदार्थ (सिलिकॉन) से बने होते हैं, सिलिकॉन जैसे अर्द्धचालक पदार्थ में इलेक्ट्रॉन अधिक होते हैं। जब सूर्य का प्रकाश सोलर सेल पड़ता है, तो सोलर सेल सक्रिय हो जाते हैं एवं इन सेल के गर्मी से इलेक्ट्रॉन मुक्त होने लगते हैं, एवं सोलर पैनल के द्वारा ये मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होने लगते हैं, मुक्त इलेक्ट्रॉन के प्रवाह से ही बिजली का निर्माण होता है। मुक्त इलेक्ट्रॉन के प्रवाह से करंट बनती है। सोलर पैनल में फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के कारण ही कार्य करते हैं।
सोलर पैनल डीसी के रूप में बिजली बनाते हैं, जिसे इंवर्टर के द्वारा एसी में परिवर्तित किया जा सकता है। सौर ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा होती है, आज के समय में नवीकरणीय ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए अनेक प्रकार के प्लांट को स्थापित किया जाता है। सोलर उपकरणों को प्रयोग करने के लिए सरकार द्वारा भी नागरिकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। क्योंकि ऐसे उपकरण के द्वारा बिजली के बिल से भी राहत प्राप्त की जा सकती है, सोलर पैनल को विज्ञान का एक आधुनिक आविष्कार भी कहा जा सकता है।
सूर्य की रोशनी में क्या होता है?
सूर्य की रोशनी के द्वारा ही सौर ऊर्जा प्राप्त होती है, जिसके द्वारा बिजली बनाई जाती है। सूर्य की रोशनी में एक प्रकार की ऊष्मा (Heat) रहती है। इस ऊष्मा के माध्यम से ही सोलर सेल बिजली का निर्माण करते हैं। सूर्य का प्रकाश जब सोलर सेल पर टकराता है, तो उसे ऊष्मा में बदल देता है। भारत में लगभग 300 दिन सूर्य अच्छी ऊर्जा प्रदान करता है, इसलिए हमारे देश में सोलर पैनल बिजली बनाने के एक बेहतर विकल्प हो सकता है। सौर ऊर्जा के प्रयोग से सोलर पैनल, सोलर वाटर हीटर, सोलर कुकर, सोलर लाइट, सोलर पंप आदि उपकरणों को चलाया जा सकता है।
सोलर पैनल को स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा दी जानें वाली सब्सिडी भी प्राप्त की जा सकती है, सोलर पैनल के प्रयोग से बनने वाली बिजली से सभी प्रकार के विद्युत उपकरण चलाए जा सकते हैं, सोलर पैनल को स्थापित करने से पहले अपने घर या प्रतिष्ठान में बिजली के लोड की जानकारी होनी चाहिए, जिससे सही क्षमता के सोलर सिस्टम को स्थापित किया जा सकता है। सोलर सिस्टम के प्रकार का चयन भी आप अपनी बिजली की आवश्यकताओं के अनुसार कर सकते हैं।