हजारीबाग कृषि प्रधान जिला है। जिले का दो तिहाई हिस्सा कृषि कार्य में लगा है। गर्मी की शुरुआत होते ही किसान आवारा पशुओं और जंगली जानवरों जैसे नीलगाय, सूअर, चूहे, हाथी आदि से परेशान हो जाते हैं। गर्मी के दिनों में जंगल में पानी और भोजन की कमी के कारण ये जानवर किसानों के खेतों में आ जाते हैं। ये फसल को भी नष्ट कर देते हैं, जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान होता है। इससे बचने के लिए कई घरेलू उपाय हैं, जिनका इस्तेमाल कर जानवरों को फसल से दूर रखा जा सकता है।
इस संबंध में हजारीबाग के कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अक्षित ने बताया कि किसान जंगली जानवरों के फसल में घुसने से काफी परेशान रहते हैं और इसके लिए वे कई उपाय भी करते हैं। लेकिन, फिर भी जानवर अक्सर फसल में आ जाते हैं और फसल को नष्ट कर देते हैं। इससे बचने के लिए कई घरेलू उपाय हैं, जिनका इस्तेमाल कर जानवरों को फसल से दूर रखा जा सकता है। इस संबंध में हजारीबाग के कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अक्षित ने बताया कि किसान जंगली जानवरों के फसल में घुसने से काफी परेशान रहते हैं और इससे बचाव के लिए वे कई उपाय भी अपनाते हैं। लेकिन, इसके बाद भी कई बार जानवर फसलों में घुसकर उन्हें नष्ट कर देते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि जंगली इलाकों में नीलगाय फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं. इससे बचने के लिए किसान अपने खेतों के पास औषधीय पेड़ लगा सकते हैं. खास तौर पर ऐसे पेड़ जिनसे दुर्गंध आती है. क्योंकि नीलगाय दुर्गंध से दूर भागती हैं. उनकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है.
उन्होंने आगे कहा कि जंगली इलाकों में नीलगाय फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं. इससे बचने के लिए किसान अपने खेतों के पास औषधीय पेड़ लगा सकते हैं. खास तौर पर ऐसे पेड़ जिनसे दुर्गंध आती है. क्योंकि नीलगाय दुर्गंध से दूर भागती हैं. उनकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है.
किसान एक उपाय यह भी अपना सकते हैं कि वे प्रति एकड़ 25 लीटर पानी में पांच अंडे और आधा किलो सर्फ मिलाकर अपने खेतों में इसका छिड़काव कर सकते हैं. गर्मियों में अंडे तीन से चार दिन बाद सर्फ के साथ प्रतिक्रिया करके दुर्गंध देने लगते हैं, जिससे नीलगाय, गाय, बैल और चूहे फसलों से दूर रहेंगे. हालांकि, इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. एक बार यह उपाय करने के बाद इसका असर फसलों पर 3 महीने तक दिखता है।
एक उपाय किसान यह भी अपना सकते हैं कि प्रति एकड़ 25 लीटर पानी में पांच अंडे और आधा किलो सर्फ मिलाकर अपने खेतों में इसका छिड़काव करें। गर्मियों में अंडे तीन से चार दिन बाद सर्फ के साथ प्रतिक्रिया करके दुर्गंध देने लगते हैं, जिससे नीलगाय, गाय, बैल और चूहे फसलों से दूर रहेंगे। हालांकि, इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। एक बार यह उपाय करने के बाद इसका असर फसलों पर 3 महीने तक दिखता है।
किसान जैविक तरीकों से भी अपने खेतों से नीलगाय और सूअर जैसे जंगली जानवरों को दूर रख सकते हैं। इसके लिए नीम की खली को पानी में घोलकर फसलों पर छिड़का जा सकता है। नीम की खली से दुर्गंध आती है, जिससे जंगली और आवारा जानवर फसलों पर नहीं आते। साथ ही इससे पैदावार भी बढ़ती है।
किसान जैविक तरीकों से भी अपने खेतों से नीलगाय और सूअर जैसे जंगली जानवरों को दूर रख सकते हैं। इसके लिए नीम की खली को पानी में घोलकर फसलों पर छिड़का जा सकता है। नीम की खली से दुर्गंध आती है, जिससे जंगली और आवारा जानवर फसल पर नहीं आते और उपज भी बढ़ती है।