IT Stocks Update: भारतीय आईटी दिग्गज कंपनियों—इंफोसिस और विप्रो—के अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADRs) में शुक्रवार को तेज गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले से जुड़ी है, जिसके तहत H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर अब 1 लाख डॉलर कर दी गई है।
इस ऐलान के बाद इंफोसिस के ADRs करीब 4% टूट गए, जबकि विप्रो के ADRs लगभग 2% नीचे बंद हुए। अब बाजार की नजर सोमवार को भारतीय शेयर बाजार पर रहेगी, जब आईटी सेक्टर की कंपनियों के शेयर इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।
नया नियम क्या कहता है?
संशोधित नियमों के मुताबिक, हर नए H-1B वीजा आवेदन या उससे जुड़े अतिरिक्त दस्तावेज़ों के लिए कंपनियों को सालाना 1,00,000 डॉलर का शुल्क अदा करना होगा। अमेरिकी विदेश विभाग को अधिकार दिया गया है कि शुल्क का भुगतान न होने पर वीजा आवेदन को खारिज कर दिया जाए।
एक्सपर्ट्स की राय
विश्लेषकों का मानना है कि यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए लागत बढ़ाने वाला कदम है, लेकिन इससे उनके अस्तित्व पर संकट खड़ा नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान में अमेरिका में पहले से काम कर रहे H-1B वीजा धारकों पर इस फैसले का तात्कालिक असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, इतना अधिक शुल्क वीजा प्रोग्राम की स्थिरता पर सवाल जरूर खड़े करता है।
भारतीय आईटी कंपनियों पर संभावित असर
भारत की प्रमुख आईटी कंपनियां अपनी आय का बड़ा हिस्सा उत्तरी अमेरिका से अर्जित करती हैं। कई कंपनियों की कुल कमाई का 30% से 65% हिस्सा इसी क्षेत्र से आता है। ऐसे में H-1B नियमों में बदलाव उनके बिजनेस मॉडल पर गहरा असर डाल सकता है।
सोमवार को बाजार का रुख
पिछले हफ्ते निफ्टी आईटी इंडेक्स में 1% से 3% तक की मजबूती देखने को मिली थी। अब निवेशकों की निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि सोमवार को बाजार खुलते ही इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो जैसी कंपनियों के शेयर किस तरह रिएक्ट करते हैं।