सर्दियों में किसानों को अपनी फसल को पाला-कोहरा से बचाना पड़ता है नहीं तो फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है तो चलिए जानते हैं ठंड में अपनी फसल को पाले से कैसे बचाएं-
सर्दियों में किसानों की समस्या
सर्दियों में खेती किसानी में कई तरह की समस्याएं आती हैं। जिसमें कई किसान पाले की मार से नहीं बचा पाते हैं। लेकिन जो किसान सही फैसला सही समय पर ले लेते हैं उन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाती है। उनकी फसलों की कीमत अच्छी मिलती है। जिसमें सबसे पहले इस लेख में आपको बताएंगे कि पाला-कोहरा से फसल पर क्या प्रभाव पड़ता है और इससे बचने के कृषि विशेषज्ञ क्या उपाय बताते हैं।
पाला से फसल पर क्या प्रभाव पड़ता है
सर्दियों में पाला-कोहरा पड़ने लगता है रात में ठंड और बढ़ जाती है। तापमान गिरने लगता है। सामान्य जगह पर चार डिग्री तक तापमान गिर रहा है। रात के समय ओस की बूंदे बर्फ बनने लगती हैं। सुबह भी लंबे समय तक धुंध छाया रहता है। रात में जब तापमान बेहद गिरने लगता है उस समय पत्तियों के अंदर जो पानी होता है वह बर्फ बन जाता है। जिसकी वजह से फसल पर नुकसान पहुंचता है। फसल कमजोर होती है और धीरे-धीरे खराब हो जाती है। उत्पादन में कमी भी देखने को मिलती है तो चलिए जानते हैं पाला-कोहरा से फसल को कैसे-कैसे बचा सकते हैं।
पाला-कोहरा से फसल कैसे बचाएं
नीचे लेकर बिंदुओं के अनुसार पाले कोहरे से फसल को बचाने के उपाय जाने-
- पाले से फसल को बचाने के कई उपाय हैं। जिसमें से एक उपाय यह भी है कि शाम के समय हल्की सिंचाई कर दे। हल्की सिंचाई करने से मिट्टी के भीतर का तापमान गिरता नहीं है . पाला-कोहरा फसल की जड़ में नहीं पड़ता है।
- इसके अलावा किसान जब नई फसल की खेती करते हैं रोपाई-बुवाई करते हैं उस समय जिंक, सल्फेट, पोटाश, सुपर सल्फर जैसे सूक्ष्म तत्व उर्वरक डाल सकते हैं। जिससे जमीन में गर्मी रहेगी।
- इसके अलावा किसानों को अगर परमानेंट उपाय करना है तो खेतों के अगल-बगल पेड़ों पर बड़े ऊंचे, शहतूत, शीशम जैसे पेड़ लगाए जिससे ठंडी हवाएं खेतों में प्रवेश न कर पाए।
- इसके अलावा आसपास जो की सूखी घास होती है उसे शाम के समय जलाएं। लेकिन फसल से दूरी पर ताकि धुएं से थोड़ा गर्माहट का माहौल हो।
- ठंडी राख भी फसलों में छिड़क सकते हैं। जैसे कि सब्जियों के फसलों में बैगन आदि में इससे भी पत्तियों को पाला-कोहरा से बचा सकते हैं। राख होने से पत्तियों में और ओस की बूंदे ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाती।