उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के 2.44 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रोक दी है। यह फैसला उन कर्मचारियों के खिलाफ लिया गया है जिन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी निर्धारित समय सीमा तक सरकार को नहीं दी। इस कदम ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के बीच हलचल मचा दी है।
UP NEWS : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के 2.44 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रोक दी है। यह फैसला उन कर्मचारियों के खिलाफ लिया गया है जिन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी निर्धारित समय सीमा तक सरकार को नहीं दी। इस कदम ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के बीच हलचल मचा दी है।
सैलरी रोकने का कारण
निर्देश: मुख्य सचिव ने 31 अगस्त तक सभी सरकारी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे।
डिटेल्स: ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर देना था, जिसमें चल और अचल संपत्ति की जानकारी शामिल थी।
अनुपालन: केवल 71% कर्मचारियों ने ही निर्धारित समय तक ब्यौरा दिया, जबकि बाकी 29% ने अपनी जानकारी नहीं दी।
शिक्षा विभाग: सबसे ज्यादा संख्या में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया।
स्वास्थ्य विभाग: स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की भी बड़ी संख्या शामिल है।
राजस्व विभाग: राजस्व विभाग के कई कर्मचारियों ने भी संपत्ति का ब्यौरा नहीं प्रस्तुत किया।
सपा की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की आलोचना की है। सपा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “कथित ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के जनक के राज में कर्मचारियों की सैलरी तक रोक दी जा रही है।”
संपत्ति ब्यौरा देने में कौन आगे?
टेक्सटाइल विभाग
सैनिक कल्याण विभाग
ऊर्जा विभाग
खेल विभाग
कृषि विभाग
महिला कल्याण विभाग
योगी सरकार का यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। अब तक, 8,46,640 सरकारी कर्मचारियों में से 6,02,075 ने ही संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत किया है। यह कदम न केवल सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में भी सुधार लाएगा।