किसान अगर औषधीय फसल लगाकर एक बीघा से लखपति बनना चाहते हैं, तो चलिए बताते हैं कि यह खेती कैसे होती है।
सफेद मूसली की खेती में कितना उत्पादन मिलता है
दरअसल, यहां पर सफेद मूसली की खेती की बात की जा रही है। इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है। इससे किसानों को मुनाफा भी अधिक होता है और बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों के किसान इसकी खेती कर सकते हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए यह औषधीय गुणों से भरपूर फसल लाखों का भाव देती है।
अगर किसान एक बीघा में सफेद मूसली की खेती करते हैं, तो उन्हें 2 से 3 क्विंटल सूखा उत्पादन और 10 से 15 क्विंटल गीला उत्पादन मिल जाता है। आइए बताते हैं कि यह कितने दिन की फसल है, किस विधि से इसकी खेती होती है और प्रति क्विंटल इसका भाव कितना है।
सफेद मूसली की खेती किस विधि से होती है
सफेद मूसली की खेती करने के लिए खेत में बेड बनाए जाते हैं। इसके बाद इनमें जड़ें लगाई जाती हैं, जिसमें 2 से 2.5 क्विंटल गीली जड़ का उपयोग होता है। सफेद मूसली की फसल लगभग 150 दिन की मानी जाती है। सफेद मूसली में औषधीय गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। यह शरीर में ऊर्जा बढ़ाने का काम करती है और डायबिटीज, गठिया जैसी समस्याओं के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है।
सफेद मूसली की मंडी में कीमत कितनी मिलती है
वर्तमान समय की बात करें तो किसान बताते हैं कि सफेद मूसली की कीमत 1,76,000 से 1,80,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है। इसी वजह से कहा जाता है कि किसान एक बीघा से ही ₹3,00,000 से ज्यादा का मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन कीमत कभी-कभी कम भी मिल सकती है। यह पूरी तरह से गुणवत्ता और बाजार पर निर्भर करता है कि किसान को कितनी कीमत प्राप्त होगी।
