आजकल हम अपने आसपास ऐसे अनगिनत लोगों को देखते हैं। जो अक़्सर परिस्थितियों को दोष देते हुए अपनी नाकामयाबियों को छिपाते रहते हैं। जी हां कभी कोई संसाधनों के अभाव की बात करता है तो कभी कोई किसी और बात का जिक्र। ऐसे में कहीं न कहीं समझ ये आता है कि नाकामयाब होने के कई बहाने हो सकते हैं, लेकिन कामयाबी के लिए सिर्फ़ जुनून और कुछ करने का जज्बा होना चाहिए।
जी हां आपने अब्राहम लिंकन की कहानी किताबों में तो पढ़ी ही होगी। उन्होंने स्ट्रीट लाइट में पढ़ाई की थी और एक दिन सबसे मजबूत राष्ट्र के राष्ट्रपति बने थे। ऐसी ही एक कहानी हम आपको आज बताने जा रहें है। जिसमें कहानी का नायक सुविधाओं के अभाव में भी कुछ ऐसा कर दिखाता है जो अब चर्चा का विषय बन गया है। आइए ऐसे में जानें यह पूरी कहानी…
बता दें कि हम जिस कहानी की बात कर रहें, उसका नायक एक कुली है। अब आप ऐसे में सोचें कि एक कुली की कहानी में आख़िर क्या स्पेशल? तो बनें रहिए हमारे साथ और हम बताते हैं आपको पूरी कहानी विस्तार से। मालूम हो कि इस मेहनती कुली का नाम है श्रीनाथ और जो सुविधाएं न होने के नाम का रोना रोते हैं। उनके लिए एक मिसाल बन गए हैं।
गौरतलब हो कि श्रीनाथ केरल में रेलवे स्टेशन पर कुली रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे और जुनून के बल पर अब एक नई सफलता अर्जित की है। जी हां सिविल सेवा की परीक्षा यानी UPSC एक चक्रव्यूह की तरह होती है, लेकिन श्रीनाथ ने बिल्कुल अभिमन्यु की तरह न सिर्फ चक्रव्यूह तोड़ने का फैसला किया, बल्कि उन्होंने इसे ध्वस्त भी किया।
बता दें कि श्रीनाथ की सफलता में किसी कोचिंग संस्थान की देन नहीं हैं और उन्होंने रेलवे स्टेशन पर काम करते-करते यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
इतना ही नहीं मालूम हो कि श्रीनाथ पहले केरल पब्लिक सर्विस कमीशन और फिर UPSC में कामयाबी पाने वाले कुली बन गए हैं और वो मुन्नार के मूल निवासी हैं। वहीं जब हम श्रीनाथ के पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हैं तो पाते हैं कि उनका जन्म आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ।
ऐसे में श्रीनाथ ने अपना परिवार चलाने के लिए एर्नाकुलम स्टेशन पर कुली का काम किया। बता दें कि परिवार के इकलौते कमाऊ श्रीनाथ ने साल 2018 में ये फैसला लिया कि वह कड़ी मेहनत कर के कोई बड़ा पद पाएंगे जिससे कि उनकी आय बढ़े और वह अपनी बेटी का भविष्य उज्ज्वल बना सके।
फिर क्या था उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षा देने की ठानी और उन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी जीत का जरिया बनाते हुए सफलता अर्जित की।
यहां उल्लेखनीय बात यह है कि श्रीनाथ कोचिंग सेंटर की फीस नहीं दे सकते थे और उनके मन में यही बात थी कि बिना कोचिंग सेंटर के वह इस कठिन परीक्षा को कैसे पास कर पाएंगे? ऐसे में उन्होंने पहले केपीएससी की परीक्षा दी और उन्होंने इस दिशा में सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए रेलवे के फ्री Wifi का उपयोग किया।
आख़िर में बता दें कि श्रीनाथ के हाथ पहले 3 प्रयास में तो हाथ मे असफलता आई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी और आखिर श्रीनाथ ने आईएएस बन उन लोगो को राह दिखाई है। जो सुविधाएं न होने का रोना रोते हैं।