मध्य प्रदेश सरकार 52,000 सोलर सिंचाई पंप लगाने जा रही है, जिससे किसानों को बिजली कटौती से राहत मिलेगी और मुफ्त में बिजली उपलब्ध होगी। पंप की कुल लागत का 60% सब्सिडी सरकार देगी और यह योजना इस साल के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य में 52,000 सोलर सिंचाई पंप लगाने की योजना की घोषणा की है। इस पहल से न केवल किसानों को सिंचाई के लिए आवश्यक बिजली मिलेगी, बल्कि इससे राज्य सरकार पर सब्सिडी का भार भी कम होगा। इस योजना का उद्देश्य किसानों को बिजली कटौती की समस्याओं से मुक्ति दिलाना है, जिससे उन्हें खेती में बेहतर उत्पादन मिल सके।
किसानों को मिलेगी राहत, कटेगी बिजली की लागत
इस योजना के तहत किसानों को कुल सोलर सिंचाई पंप की लागत का केवल 40% ही देना होगा, जबकि बाकी 60% राशि की पूर्ति केंद्र और राज्य सरकार सब्सिडी के रूप में करेगी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही 30-30% सब्सिडी देंगी। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होगा और वे अपनी सिंचाई की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। अनुमान है कि यह सोलर पंप योजना इस साल के अंत तक लागू हो जाएगी और किसान इसका लाभ उठा सकेंगे।
250 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता
इस योजना के तहत लगाए जाने वाले सोलर पंपों की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 250 मेगावाट होगी। प्रत्येक पंप में 5 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे किसानों को दिन में भी सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली मिलेगी। इस बिजली से किसानों की फसलें समय पर पानी पा सकेंगी और उन्हें बिजली कटौती जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पंप के लिए टेंडर जारी, जल्द शुरू होगा काम
सरकार ने सोलर पंपों के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं और जल्द ही इस पर काम शुरू होने की उम्मीद है। राज्य के ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव ने कहा कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा, तो इस साल के अंत तक पंप लगाने का काम शुरू हो जाएगा। इन पंपों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर बांटा जाएगा, जिससे जल्दी आवेदन करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
5 साल की वारंटी और मुफ्त बिजली
इन सोलर पंपों के साथ 5 साल की वारंटी भी मिलेगी, जिससे किसानों को लंबे समय तक फायदा मिलेगा। खास बात यह है कि इन पंपों के जरिए किसानों को मुफ्त बिजली मिलेगी, क्योंकि ये पंप पूरी तरह से सोलर ऊर्जा पर आधारित होंगे और ग्रिड से जुड़े नहीं होंगे। इस प्रकार सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी दो साल के भीतर पूरी हो जाएगी और किसानों को किसी और सब्सिडी की आवश्यकता नहीं रहेगी।