पत्ता गोभी एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। इसे सब्जी, सलाद और फास्ट फूड में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। खासकर सर्दियों में इसकी मांग और बढ़ जाती है, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं। अगर किसान सितंबर में पत्ता गोभी की खेती शुरू करें, तो वे जल्दी तैयार फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं।
कम लागत में अधिक मुनाफा
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक के अनुसार, पत्ता गोभी की कई किस्में सिर्फ 55 से 60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। किसान अगर रोग प्रतिरोधी और ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्में चुनें, तो कम लागत में अधिक पैदावार मिलती है। यही वजह है कि किसान भाई पत्ता गोभी को नकदी फसल (Cash Crop) के रूप में भी अपना रहे हैं।
पत्ता गोभी की टॉप किस्में
पत्ता गोभी की किस्म गोल्डन एकर 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। पूसा अगेती और पूसा ड्रम हेड 350 से 380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती हैं। पूसा मुक्ता और प्राइड ऑफ इंडिया किस्म भी किसानों को अच्छा उत्पादन देती है। वहीं, पूसा किस्म 300 से 320 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और क्रांति किस्म लगभग 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है।
खेत की तैयारी और रोपाई का तरीका
खेती के लिए ऐसे खेत का चयन करें जहां जल निकासी की व्यवस्था बेहतर हो। बारिश का पानी खेत में जमा नहीं होना चाहिए। खेत की गहरी जुताई करने के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। अंतिम जुताई के समय गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाने से मिट्टी उपजाऊ हो जाती है और रासायनिक खाद की जरूरत कम पड़ती है।
पौध की रोपाई करते समय कूड या बेड बनाकर रोपाई करना सबसे अच्छा तरीका है। किसान चाहें तो समतल सतह पर भी रोपाई कर सकते हैं। पौधे से पौधे की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी करीब 60 सेंटीमीटर रखें। इस तरह लगाने से पौधों को पर्याप्त जगह और पोषण मिलता है।
सिंचाई और देखभाल
पत्ता गोभी की फसल को शुरुआत में हल्की सिंचाई की जरूरत होती है। पौधे जमने के बाद 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। पानी का जमाव बिल्कुल न होने दें क्योंकि इससे जड़ सड़न और फफूंद रोग लगने का खतरा रहता है। समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार फसल को नुकसान न पहुंचा पाए।
रोग और कीट प्रबंधन
पत्ता गोभी की फसल में अक्सर तना गलन, ब्लैक रोट और डायमंड बैक मॉथ (DBM) जैसे कीट लग जाते हैं। इसके लिए किसान पौध को रोगमुक्त नर्सरी से लगाएं और खेत में रोग प्रतिरोधी किस्मों का इस्तेमाल करें। जरुरत पड़ने पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह से दवा का छिड़काव करें।
लागत और मुनाफा
यदि किसान 1 एकड़ में सितंबर माह में पत्ता गोभी की बुवाई करते हैं, तो औसतन 30 से 35 हजार रुपये का खर्च आता है। इसमें बीज, खाद, सिंचाई और दवा का खर्च शामिल है। शुरुआती सीजन में बाजार भाव ₹10–12 प्रति किलो मिलता है और औसतन ₹8 प्रति किलो भी मानें तो 1 एकड़ से करीब 1.5 से 2 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है। यानी किसान आसानी से ₹1 लाख से ज्यादा का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं।