उत्तर भारत के किसान भाई, सितंबर का महीना हरी मटर उगाने का सबसे अच्छा मौका है। उत्तर प्रदेश में किसान सब्जी खेती से अच्छी कमाई करते हैं, और हरी मटर इसमें सबसे आगे है। यह फसल कम लागत में जल्दी तैयार हो जाती है, और दिसंबर तक बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुहेल खान बताते हैं कि सही किस्म चुनकर लाखों कमा सकते हैं। ठंडी हवाओं की शुरुआत से पहले बुवाई करें, तो पौधे मजबूत बढ़ेंगे। मैंने कई खेतों में देखा है कि समय पर बोई गई मटर से किसानों की जेबें भर जाती हैं।
अर्ली बैजर
अर्ली बैजर मटर की एक विदेशी किस्म है, जो किसानों की पसंदीदा बन चुकी है। इसके पौधों पर झुर्रीदार दाने वाली फलियां आती हैं, जो बाजार में अलग पहचान रखती हैं। बुवाई के 50-60 दिन बाद ही पहली कटाई हो जाती है। यह किस्म कम पानी और मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है। दोमट मिट्टी में बोएं, तो प्रति एकड़ 15-18 क्विंटल हरी फलियां मिल सकती हैं। सर्दियों में इसकी डिमांड बढ़ जाती है, और दाम 40-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं। कम लागत में यह फसल 50 हजार तक का मुनाफा दे सकती है।
पंत मटर 155
पंत मटर 155 एक हाइब्रिड अगेती किस्म है, जो बुवाई के 30-35 दिन बाद ही फूल लाने लगती है। कुल 50-55 दिन में फसल कटाई लायक हो जाती है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है, इसलिए कीटों से कम नुकसान होता है। खेत तैयार करते समय गोबर की खाद अच्छी तरह मिलाएं, और कतारों में 20 सेंटीमीटर दूरी रखें। प्रति एकड़ 18-20 क्विंटल उपज आसानी से मिलती है। डॉ. सुहेल खान की सलाह है कि यह किस्म उत्तर प्रदेश की मिट्टी के लिए बिल्कुल फिट है। दिसंबर में बाजार में बिक्री से 60-70 हजार का लाभ संभव है।