केंद्र सरकार ने पेंशनभोगियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनसे पेंशन, GPF, ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में सुधार होगा। इन दिशा-निर्देशों से 2006 से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बेहतर लाभ मिलेगा और पेंशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
केंद्र सरकार ने पेंशनभोगियों के हित में हाल ही में 6 दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनके माध्यम से पेंशन, GPF, ग्रेच्युटी और नई पेंशन प्रणाली (NPS) सहित अन्य लाभों में सुधार किया जाएगा। ये दिशा-निर्देश खास तौर पर उन पेंशनभोगियों के लिए महत्वपूर्ण हैं जिन्होंने 2006 से पहले सेवा समाप्त की थी और वे विभिन्न विसंगतियों का सामना कर रहे थे।
इन दिशा-निर्देशों से पेंशनभोगियों को वित्तीय सहायता मिलने के साथ-साथ न्यायसंगत और पारदर्शी पेंशन व्यवस्था की उम्मीद भी जगी है। आइए जानते हैं विस्तार से इन 6 दिशा-निर्देशों के बारे में।
केस 1: पेंशन संशोधन (छठे वेतन आयोग के तहत)
2006 से पहले, पेंशनभोगियों की पेंशन में कई विसंगतियां थीं, खासकर छठे वेतन आयोग के बाद। पेंशन को अंतिम वेतन के 50% के आधार पर संशोधित करने का प्रावधान था, लेकिन कई पेंशनभोगियों का आरोप था कि उनका पेंशन निर्धारण न्यूनतम वेतन बैंड के आधार पर नहीं हुआ। उदाहरण के तौर पर, श्री माणिकलाल का पेंशन 3355 रुपये प्रति माह था, जिसे छठे वेतन आयोग के तहत 7583 रुपये कर दिया गया। लेकिन उनका दावा था कि पेंशन 8193 रुपये होनी चाहिए थी, जो न्यूनतम वेतन बैंड का 50% था।
केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए, जिसके तहत पेंशन को दो तरीकों से गणना किया जाएगा: अंतिम वेतन का 50% और न्यूनतम वेतन बैंड + ग्रेड पे का 50%। इससे पेंशनभोगियों को अधिकतम और न्यायसंगत पेंशन मिलेगी। उच्च न्यायालय ने भी इसे लागू करने का आदेश दिया, जिससे यह दिशा-निर्देश प्रभावी हुआ।
केस 2: सेवा अवधि और पेंशन पात्रता
कुछ कर्मचारियों की सेवा अवधि 10 वर्ष से कम होती है, जिसके कारण वे पेंशन के पात्र नहीं होते। उदाहरण के लिए, श्री जगदीश को सीआईएसएफ में 9 वर्ष 8 महीने की सेवा के बाद पेंशन से वंचित कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि उनकी सेवा को 10 वर्ष माना जाए, और उन्हें पेंशन का लाभ मिले।
केंद्र सरकार ने नियम 49(1) के तहत कुछ महीनों की सेवा को पूर्ण वर्ष मानने का निर्देश दिया। निलंबन अवधि या अवैतनिक अवकाश को भी सेवा अवधि में शामिल किया जाएगा। इससे उन कर्मचारियों को भी पेंशन का लाभ मिलेगा, जिनकी सेवा अवधि 10 वर्ष से कम है।
केस 3: विलंबित भुगतान पर ब्याज का प्रावधान
कई पेंशनभोगियों को अपने सेवानिवृत्ति लाभों (पेंशन, ग्रेच्युटी) में देरी का सामना करना पड़ता है, जिससे वे वित्तीय संकट का शिकार हो जाते हैं। श्री गणपत का उदाहरण लेते हैं, जिन्हें अपने सेवानिवृत्ति लाभ एक वर्ष की देरी से मिले। न्यायाधिकरण (CAT) ने आदेश दिया कि उन्हें 6% ब्याज दिया जाए।
केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किया कि यदि 3 महीने से अधिक की देरी होती है, तो 6% ब्याज देना अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि पेंशनभोगियों को समय पर उनके लाभ मिलें और देरी के मामलों में विभागीय जवाबदेही बढ़ेगी।
केस 4: नई पेंशन प्रणाली (NPS) बनाम पुरानी पेंशन योजना (OPS)
NPS के तहत मृत कर्मचारी के फंड का वितरण और परिवार पेंशन की पात्रता को लेकर कई भ्रम थे। उदाहरण के तौर पर, एक मृत कर्मचारी की मां को परिवार पेंशन के लिए पात्र नहीं माना गया।
केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किया कि मृत कर्मचारी के परिवार को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के लाभ मिलेंगे। यदि कोई पात्र सदस्य नहीं है, तो NPS फंड कानूनी उत्तराधिकारी को दिया जाएगा। इससे मृत कर्मचारियों के परिवारों को समय पर सहायता मिलेगी और NPS और OPS के बीच स्पष्टता होगी।
केस 5: सामान्य भविष्य निधि (GPF) और अधिकतम सीमा
GPF में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय की गई है, लेकिन कुछ कर्मचारियों का योगदान इससे अधिक हो जाता है। इस पर ब्याज की भी समस्या थी, जो कर योग्य था।
केंद्र सरकार ने यह तय किया है कि GPF की सीमा पार करने पर अतिरिक्त कटौती रोकी जाएगी और उस पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा, लेकिन वह कर योग्य होगा। इससे GPF की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और कर्मचारियों को सीमा का सही ज्ञान होगा।
केस 6: ग्रेच्युटी का भुगतान (अस्थायी कर्मचारियों के लिए)
अस्थायी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के भुगतान के बारे में अक्सर सवाल उठते थे। श्रीमान आर, एक अस्थायी कर्मचारी, ने 28 वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी का दावा किया।
केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किया कि अस्थायी कर्मचारियों को भी उनके सेवा वर्षों के आधार पर ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। इससे अस्थायी कर्मचारियों को भी उनके सेवा के दौरान मिलने वाले अधिकारों का लाभ मिलेगा।