केरल एक बार फिर सामाजिक और तकनीकी प्रगति का उदाहरण पेश करने जा रहा है। मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन 21 अगस्त को राज्य को भारत का पहला डिजिटल साक्षर राज्य घोषित करेंगे। यह उपलब्धि राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी “डिजी केरलम पूर्ण डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम” के तहत हासिल हुई है, जिसमें बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक हर वर्ग को डिजिटल तकनीक से जोड़ा गया।
2023 में शुरू हुआ था अभियान
यह कार्यक्रम स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा वर्ष 2023 में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था कि समाज के हर वर्ग और हर उम्र के लोग स्मार्टफोन और डिजिटल सेवाओं का इस्तेमाल कर सकें और सरकारी ई-सेवाओं का लाभ उठा सकें।
इसके लिए सबसे पहले 83 लाख घरों का सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में 1.50 करोड़ लोगों की जांच की गई और पाया गया कि लगभग 21 लाख लोग डिजिटल रूप से अशिक्षित हैं। इन्हीं को डिजिटल तकनीक से जोड़ने का मिशन चलाया गया।
2.57 लाख स्वयंसेवकों ने संभाला जिम्मा
इस विशाल अभियान को पूरा करने के लिए 2.57 लाख प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की टीम बनाई गई। इनमें मनरेगा पर्यवेक्षक, एनएसएस, एनसीसी और नेहरू युवा केंद्र के सदस्य शामिल थे।
इन्हीं स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर, समूह बैठकों में और कई बार मनरेगा साइट पर लंच ब्रेक के दौरान लोगों को डिजिटल ट्रेनिंग दी। जिन बुजुर्गों या ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन नहीं था, उन्होंने स्वयंसेवकों के फोन से अभ्यास किया।
90 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग भी बने डिजिटल साक्षर
इस अभियान की सबसे खास बात यह रही कि इसमें बुजुर्गों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 90 साल से ज्यादा उम्र के 15,223 बुजुर्गों ने प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया।
ट्रेनिंग में उन्हें फोटो-वीडियो बनाना, सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल तैयार करना, व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजना, गूगल सर्च करना, ऑनलाइन आवेदन भरना और यहां तक कि गैस बुकिंग जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करना सिखाया गया।
फेक न्यूज से बचाव की भी दी गई जानकारी
कार्यक्रम में केवल तकनीकी ट्रेनिंग ही नहीं दी गई, बल्कि ‘सत्यमेव जयते अभियान’ के तहत लोगों को फेक न्यूज से बचाव की जानकारी भी दी गई। यह कदम सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभावों को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मूल्यांकन में 99.98% लोग पास
अभियान की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मूल्यांकन में 99.98% लोग सफल हुए। जो लोग पहली बार में पास नहीं हो पाए, उन्हें दोबारा प्रशिक्षण देकर डिजिटल रूप से सशक्त बनाया गया।
पुल्लमपारा पंचायत से मिली प्रेरणा
यह पहल दरअसल तिरुवनंतपुरम जिले की पुल्लमपारा पंचायत से प्रेरित थी। इस पंचायत को 2022 में भारत की पहली डिजिटल साक्षर पंचायत घोषित किया गया था। इसके बाद राज्य स्तर पर इसे लागू करने का निर्णय लिया गया।
क्यों है यह पहल खास?
- केरल भारत का पहला राज्य बनेगा जहां हर व्यक्ति को डिजिटल रूप से सक्षम बनाया गया।
- ग्रामीणों और बुजुर्गों तक स्मार्टफोन की तकनीक पहुंची।
- सरकारी योजनाओं और ई-सेवाओं तक सीधी पहुंच संभव हुई।
- फेक न्यूज और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने की जागरूकता फैली।
👉 केरल का यह मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। डिजिटल इंडिया अभियान को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए यह कदम ऐतिहासिक माना जा रहा है।
