भारत में लगभग 350 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं जिनमें से कुछ जहरीले होते हैं और कुछ विषहीन। इन सांपों का आकार, रंग और व्यवहार अलग होता है। जहरीले सांपों का विष बहुत ही खतरनाक होता है और इसमें कई तरह के विषैले पदार्थ होते हैं जो मनुष्यों के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।
मिशन ‘स्नेक डेथ फ्री इंडिया’ के उद्देश्य
जो कि मिशन ‘स्नेक डेथ फ्री इंडिया’ के कोऑर्डिनेटर हैं, उनका कहना है कि कोबरा जैसे सांप भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ दक्षिण एशिया (South Asia) के अन्य भागों में भी पाए जाते हैं। इनके काटने से जो जटिलताएं होती हैं वे बहुत ही गंभीर होती हैं और कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य लोगों को सांप के काटने से होने वाले नुकसानों से बचाना है।
कोबरा सांप की विशेषताएं और व्यवहार
कोबरा सांप, जो कि एक बेहद जहरीला सांप है भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है। यह सांप दिन और रात दोनों समय सक्रिय रहता है। कोबरा की एक विशेषता होती है कि यह ‘ड्राई बाइट’ (Dry Bite) करता है यानी कई बार यह बिना जहर छोड़े ही काट लेता है पर जब यह विष छोड़ता है तो उसका असर बहुत ही गंभीर होता हैं।
कोबरा के काटने का असर और प्राथमिक उपचार
कोबरा के काटने के बाद पीड़ित में तेज दर्द और सूजन होती है। इसके विष के कारण पल्स रेट में उतार-चढ़ाव और नर्वस सिस्टम पर गहरा असर पड़ता है। पीड़ित को बेचैनी, उल्टी, पसीना और चक्कर आने लगते हैं। अगर समय पर उचित उपचार नहीं मिले तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। प्राथमिक उपचार के तौर पर, कोबरा के काटने के तुरंत बाद पीड़ित को एंटी वेनम (Anti Venom) दिया जाना चाहिए और यथासंभव जल्दी अस्पताल पहुँचाया जाना चाहिए।
कोबरा सांप के निवास स्थान और बचाव के उपाय
कोबरा सांप आमतौर पर खेतों, भूसे के गोदामों, आलू की बोरियों और अनाज की बोरियों के आसपास अपना निवास स्थल बनाते हैं। डॉ. त्रिपाठी के अनुसार, इन स्थानों पर चूहों की उपस्थिति कोबरा को आकर्षित करती है। इसलिए, घरों और आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई रखने से सांपों के आने का खतरा कम हो सकता है। यह जानकारी समय पर जागरूकता और सावधानी बरतने में मदद कर सकती है।