Su-30MKI vs J-20: भारत के सामने हमेशा ही पाकिस्तान और चीन के साथ हमेशा ही सीमा पर तनाव रहता है। पाकिस्तान के साथ भारत के कई युद्ध हो चुके हैं जिसमे उसे मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन अब भारत पाकिस्तान और चीन की सेनाएँ भी पहले के मुक़ाबले कई ज्यादा ताकतवर हो चुकी है। भारत और चीन की वायुसेना पहले के मुक़ाबले बहुत ही अत्याधुनिक हो चुकी है। दोनों की वायुसेनाओं के पास एक से बढ़कर एक लड़ाकू विमानों का बेड़ा है। चीन के पास 5वीं पीढ़ी का Chengdu J-20 जैसा लड़ाकू विमान है तो वहीं भारत के पास 4.5 पीढ़ी का अपग्रेडेड Su-30MKI जैसा लड़ाकू विमान है।
आपने कई बार सोचा होगा कि भविष्य मे अगर कभी भारत के Su-30MKI और चीन के J-20 Chengdu लड़ाकू विमान मे डॉगफाइट होती है तो कौन किस पर भारी पड़ेगा। अगर नहीं, तो आइए जानते हैं…
IAF Su-30MKI vs J-20 Chengdu
बात करें दोनों की क्षमता की तो भारत के सुखोई-30MKI और चीन के जे-20 की तुलना में यह कहना कठिन है कि किसी संभावित डॉगफाइट (हवाई मुकाबले) में कौन किस पर भारी पड़ेगा, क्योंकि यह मुकाबले की परिस्थितियों, पायलट, टेक्नालजी, और रणनीति पर निर्भर करता है। हालांकि, दोनों विमानों की क्षमताओं को देखते हुए उनके फायदे और कमजोरियां जानते हैं:
सुखोई-30MKI (Su-30MKI)
सुखोई-30MKI को रूस ने डिज़ाइन किया है और भारत में HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) द्वारा लाइसेंस के तहत असेंबल किया जाता है।
खूबियां:
सुपरमैन्युवरेबिलिटी: यह एक अत्यधिक गतिशील लड़ाकू विमान है, जो थ्रस्ट वेक्टरिंग क्षमता से लैस है। इसके कारण यह असाधारण रूप से त्वरित और लचीला है।
रडार और हथियार: इसमें आरस्म-ई रडार और लंबी दूरी की मिसाइलें जैसे R-77, R-73, और ब्रह्मोस की तैनाती की क्षमता है। हालांकि भारतीय वायु सेना ने इसमे नए और अत्याधुनिक राडार, मिसाइलों से लैस किया है।
ऑपरेशनल रेंज: इसकी रेंज और ईंधन क्षमता अधिक है, जो लंबे समय तक ऑपरेशन में मदद करती है।
डॉगफाइट में सक्षम: इसकी डिजाइन इसे डॉगफाइट (हवाई युद्ध) के लिए माहिर बनाती है।
कमजोरियां:
रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) अधिक है, जिससे इसे दुश्मन के रडार पर जल्दी डिटेक्ट किया जा सकता है।
यह पांचवीं पीढ़ी का विमान नहीं है; इसलिए यह स्टील्थ क्षमता में कमजोर है।
चेंगदू जे-20 (Chengdu J-20)
J-20 चीन का स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है, जो स्टील्थ टेक्नोलॉजी के साथ डिज़ाइन किया गया है।
खूबियां:
स्टील्थ डिजाइन: इसकी रडार पर दिखाई देने की संभावना बहुत कम है।
रडार और इलेक्ट्रॉनिक्स: इसमें अत्याधुनिक AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध टेक्नालजी मौजूद हैं।
लॉन्ग-रेंज मिसाइल: यह लंबी दूरी से दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम है।
कमजोरियां:
कम फुर्ती: इसका डिजाइन डॉगफाइट के लिए नहीं, बल्कि बीवीआर (Beyond Visual Range) मुकाबलों के लिए बेहतर है।
इंजन की समस्या: J-20 के चीनी इंजन (WS-10C) में अभी भी कई तकनीकी बाधाएं हैं, और यह सुखोई-30 के अल-31एफ इंजन की तुलना में कम प्रभावशाली हो सकता है।
संभावित मुकाबला:
डॉगफाइट (निकट दूरी का मुकाबला):
सुखोई-30MKI के पास अपनी सुपरमैन्युवरेबिलिटी की वजह से J-20 पर बढ़त होगी।
J-20 की कम फुर्ती इसे डॉगफाइट में कमजोर बनाती है।
बीवीआर (दूर की लड़ाई):
J-20 की स्टील्थ क्षमता इसे पहले शॉट मारने का मौका दे सकती है।
J-20 की लॉन्ग-रेंज मिसाइलें सुखोई-30 को मुश्किल में डाल सकती हैं, खासकर अगर मुकाबला 50-100 किमी की दूरी पर हो।
निष्कर्ष:
निकट दूरी पर: सुखोई-30MKI को फायदा मिलेगा।
लंबी दूरी पर: J-20 का स्टील्थ और मिसाइल सिस्टम ज्यादा प्रभावी हो सकता है।
अंतिम परिणाम रणनीति, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, पायलट की सूझबूझ, और टेक्नालजी पर निर्भर करेगा।
भारत की वायुसेना अपने सुखोई-30MKI को “सुपर सुखोई” में अपग्रेड कर रही है, जिससे इसकी क्षमता और बढ़ जाएगी। दूसरी ओर, J-20 अभी भी विकसित हो रहा है और चीन इसके इंजन की कमियों को सुधारने की कोशिश कर रहा है।