कलम से विचारों की लड़ाई लड़ने वाली नई पीढ़ी अब नेपाल की सड़कों पर सीने पर गोलियां खाकर अपना इतिहास लिख रही है। यह वही युवा हैं, जो खामोशी से नहीं, बल्कि अपने खून से इंकलाब की इबारत लिख रहे हैं। काठमांडू, पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक जैसे बड़े शहरों में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेजी से फैल गए। जो आंदोलन सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के विरोध से शुरू हुआ था, वह देखते-देखते संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और हिंसक टकराव में बदल गया।
इस जनविद्रोह ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को आंसू गैस, पानी की बौछारों और गोलियों तक का इस्तेमाल करना पड़ा। राजनीतिक संकट गहराने पर गृहमंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दिया, उनके बाद कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल ने भी पद छोड़ दिया। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आवास तक पहुंचा और वहां भी तोड़फोड़ हुई। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ओली देश छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच वित्त मंत्री पर भीड़ द्वारा हमला किए जाने और पूर्व प्रधानमंत्री के आवास को आग लगाने की घटनाओं ने हालात और भयावह बना दिए।
8 सितंबर 2025 से शुरू हुआ यह युवा आंदोलन नेपाल की राजनीति की नींव हिला गया। यह महज़ सोशल मीडिया बैन का विरोध नहीं था, बल्कि भ्रष्टाचार, सत्ता के अहंकार और युवाओं की आर्थिक आकांक्षाओं को कुचलने वाली नीतियों के खिलाफ खुला विद्रोह बन गया। श्रीलंका और बांग्लादेश की तरह अब नेपाल में भी नई पीढ़ी ने अपने खून की कीमत पर सत्ता बदल दी। 4 सितंबर को सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे 26 प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने का फैसला इसी चिंगारी की शुरुआत बना। जेनरेशन Z ने इसे अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला मानते हुए सड़कों पर उतरकर सरकार को चुनौती दे डाली।
कौन हैं जेनरेशन Z?
जेन Z या “ज़ूमर्स” वे युवा हैं जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है। यह मिलेनियल पीढ़ी के बाद का दौर है, जो पूरी तरह डिजिटल युग में पला-बढ़ा है। तकनीक इनके जीवन का हिस्सा है— सोशल मीडिया, एआई, गेमिंग, डिजिटल पेमेंट, ई-कॉमर्स, रिमोट वर्क और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स इनके रोज़मर्रा का हिस्सा हैं।
यह पीढ़ी नई सोच और रचनात्मकता की पहचान है। पारंपरिक करियर की बजाय ये स्टार्टअप्स, फ्रीलांसिंग, कंटेंट क्रिएशन, क्रिप्टो और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए क्षेत्रों में भविष्य खोजती है। इनके लिए सामाजिक मुद्दे भी उतने ही अहम हैं—चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, लैंगिक समानता हो या LGBTQ+ अधिकार। यही वजह है कि यह जेनरेशन सिर्फ डिजिटल नहीं, बल्कि परिवर्तन की सबसे जागरूक और प्रभावशाली ताक़त मानी जाती है।