Tokophobia: मां बनना हर महिला का सपना होता है। लेकिन वो जाने कितने सपने बुनते हैं. हालाँकि आपको पहले से तैयारी करनी चाहिए, लेकिन यह भी सच है कि गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर कई बदलावों से गुजरता है। ये परिवर्तन अक्सर जटिल होते हैं. बेशक, इसका मतलब यह है कि माँ बनना आसान नहीं है। ऐसे में गर्भावस्था और प्रसव को देखते हुए कई महिलाओं को गर्भधारण का डर सताने लगता है। उन्हें लगता है कि गर्भावस्था कष्टदायक होती है। इसलिए वे गर्भधारण से बचती हैं। यह डर बिल्कुल भी सामान्य नहीं है। यह एक प्रकार की बीमारी है जिसे टोकोफोबिया कहा जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज लगभग 7% महिलाएं इवेंट फोबिया की शिकार हैं।
कब लगता है ये डर
जब टोकोफोबिया से पीड़ित महिलाएं किसी अन्य महिला को बच्चे को जन्म देते हुए देखती हैं, तो उन्हें दर्द का डर होता है। यह उन पर इस कदर हावी हो जाती है कि वे “मां बनने” के नाम से भी डरने लगती हैं। उन्हें बस गर्भावस्था का लगातार दर्द ही दिखाई देता है। इसका असर उनके जीवन पर पड़ता है.
टोकोफोबिया का कारण
1. प्रेगनेंसी को लेकर बुरे अनुभव सुनना.
2. डिलीवरी के दौरान डॉक्टर द्वारा प्राइवेट पार्ट को टच करने का डर.
3. पेनफुल प्रेगनेंसी के बारें में सुनना.
4. लाइफस्टाइल में आने वाले बदलाव और उन्हें मैनेज करने का खौफ.
5. डिलीवरी के दौरान कुछ केस में मां की दर्दनाक मौत जैसी खबर सुनकर.
टोकोफोबिया के लक्षण
प्रेगनेंट न हो जाए, इस वजह से फिजिकल होने से बचान.
प्रेगनेंट होने पर उसे छुपाने की कोशिश करना.
प्रेगनेंसी की सोचकर दुखी हो जाना
अजन्मे बच्चे से किसी तरह का लगाव न होना.
अपनों से दूर-दूर रहने की आदत
टोकोफोबिया का इलाज
1. मूड नियंत्रण के लिए दवाएं. एंटीडिप्रेसेंट मस्तिष्क के महत्वपूर्ण रसायनों को संतुलित करते हैं। इससे तनाव कम होता है.
2. हाईपोथेरपी चिकित्सा से डॉक्टर प्रभावित व्यक्ति का तनाव कम करने और गहरा विश्राम प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इससे धीरे-धीरे आपके सोचने का तरीका बदल जाएगा।
3. योग, मेडिटेशन और दूसरी रिलैक्स करने वाली थेरेपी, जो मन और दिमाग को शांत करें.