मुर्गे में एक जैविक घड़ी होती है, जिसे सर्केडियन क्लॉक कहा जाता है। यह घड़ी उन्हें सूर्योदय के समय का सही अंदाजा लगाने में मदद करती है। जैसे ही सुबह का प्रकाश बढ़ता है, मुर्गा इसे अपने शरीर में महसूस करता है और बांग देने लगता है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से हार्मोनल गतिविधियों से जुड़ी होती है, जो सुबह के समय अधिक सक्रिय होती हैं।
बांग देने का उद्देश्य
जब मुर्गा बांग देता है, तो वह अपने क्षेत्र की रक्षा करता है। यह उसके लिए एक संकेत होता है कि अन्य मुर्गे उसके क्षेत्र में प्रवेश न करें। बांग देकर वह अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है और यह दर्शाता है कि वह अपने इलाके का मालिक है।
मुर्गी क्यों नहीं देती बांग?
एक आम सवाल यह भी होता है कि मुर्गी बांग क्यों नहीं देती? इसका मुख्य कारण हार्मोनल अंतर है। मुर्गियों के शरीर में हार्मोन अलग होते हैं, जो उन्हें बांग देने की बजाय अन्य ध्वनियाँ निकालने के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे कि “पक-पक” करना।
वैज्ञानिक अनुसंधान
वैज्ञानिकों ने इस विषय पर कई शोध किए हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि मुर्गे सूर्योदय से पहले ही मध्यम प्रकाश में अपनी बांग देने की आदत को विकसित कर लेते हैं। जब प्रकाश का स्तर बढ़ता है, तो वे तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और बांग देना शुरू कर देते हैं।
इस प्रकार, मुर्गे की सुबह-सुबह बांग देने की आदत न केवल उनकी जैविक घड़ी और हार्मोनल गतिविधियों से जुड़ी होती है, बल्कि यह उनके क्षेत्रीय व्यवहार का भी एक हिस्सा है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो उनके अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है।