हर दिन भारत में करोड़ों लोग रेलगाड़ी से एक जगह से दूसरी जगह पर जाते है, भारत का रेल नेटवर्क पूरी दुनिया के सबसे जटिल रेल नेटवर्क में से एक है। लाखों की संख्या में लोग भारतीय रेलवे में काम करते है जिनकी वजह से यात्री बिना कोई परेशानी के अपनी यात्रा कर पाते है।
अब भारत में रेलवे का विस्तार और प्रभाव इतना ज्यादा है कि रेलवे की हर बात के लिए किसी न किसी तरह के नियम बनाए गए है, इन्हीं नियमों में रेल दुर्घटना से जुड़े भी कुछ नियम बनाए गए है।
अक्सर हमें सुनने को मिलता है किसी स्टेशन पर ट्रेन से कटकर किसी व्यक्ति की जान चली गई या फिर कही कोई सफर करते हुए ट्रेन से कूद गया। ऐसे में हमारे मन में एक सवाल उठता है कि क्या ट्रेन के कटकर या कूदने पर किसी की जान जाती है तो रेलवे मुआवजा देता है?
इस सवाल के जवाब से पहले हाल ही में एक केस देखने को मिली कर्णाटक में जहाँ कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ट्रेन से गिरकर मरने वाली एक महिला के परिजनों को 8 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के पूर्व रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने महिला की मौत पर मुआवजा देने से इनकार कर दिया था।
दरअसल मामला ऐसा था कि कर्णाटक के चन्नापटना रेलवे स्टेशन पर एक महिला गलत ट्रेन में चढ़ गई थी और जब उसे गलती का अहसास हुआ तो वह घबराकर चलती ट्रेन से कूद गई जिससे उसकी मौत हो गई।
अब आपको बताते है नियम के बारे में, रेलवे में दुर्घटना से घायल होने वाले या मरने वालों को विभाग मुआवजा देता है लेकिन शर्त यही है कि मौत या दुर्घटना रेलवे की गलती के वजह से हुआ हो। रेलवे द्वारा मुआवजा लायबलिटी रेलवे एक्ट 1989 की धारा 124 और 124 A के तहत दिया और निर्धारित किया जाता है।
ट्रेन में दुर्घटना के दौरान हुई मृत्यु पर अनुग्रह राशि पांच लाख रुपए, गंभीर चोट लगने पर अनुग्रह राशि 2.5 लाख रुपए और साधारण चोट के लिए ये राशि 50 हजार रुपए है।
हालाँकि आप चाहे तो ऑनलाइन टिकट लेते वक्त एक ऑप्शनल बीमा भी ले सकते है जो आपको एक रूपए से भी कम कीमत में 10 लाख रुपए का बीमा प्रदान करता है।
ऐसे में अगर बात करें ट्रेन से सुसाइड या जान बूझकर कोई अपनी जान देता है तो उसे रेलवे किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं देता है।