8th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी हाल ही में जारी किए गए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) के टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस (ToR) में दिख रही विसंगतियों को लेकर चिंतित हैं। विभिन्न कर्मचारी यूनियनों ने सरकार को पत्र लिखकर बताया है कि इस बार ToR में कई महत्वपूर्ण बिंदु पिछले वेतन आयोगों की तुलना में या तो गायब हैं या अस्पष्ट रखे गए हैं। इन यूनियनों और संगठनों ने वेतन संशोधन, पेंशन व्यवस्था, NPS/UPS से संबंधित प्रावधान, DA एरियर, दया नियुक्ति और ट्रेड यूनियन अधिकार जैसी कई महत्वपूर्ण बातों पर स्पष्टता की कमी को लेकर आपत्ति जताई है। इसी कारण कर्मचारी और पेंशनभोगी सरकार की मंशा को लेकर असमंजस में हैं।
कर्मचारी संगठनों और यूनियनों ने आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) में कई अहम मुद्दों पर अस्पष्टता को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। वेतन संशोधन, पेंशन ढांचे, NPS/OPS बहाली, DA एरियर, दया नियुक्ति और ट्रेड यूनियन अधिकार जैसे गंभीर विषयों पर स्पष्ट दिशा न मिलने से कर्मचारियों और पेंशनरों में गहरा असमंजस बना हुआ है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा अभी तक साफ नहीं है, जिससे अनिश्चितता बढ़ती जा रही है।
1 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र पर टिकी निगाहें
संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है और इसी दौरान 8वें वेतन आयोग से जुड़े कई सवाल सदन में उठने वाले हैं। लोकसभा और राज्यसभा में कई सांसद सरकार से ToR पर स्पष्टीकरण मांगेंगे। इससे उम्मीद की जा रही है कि मौजूदा भ्रम काफी हद तक दूर हो सकेगा।
राज्यसभा में सांसद जावेद अली खान और रामजी लाल सुमन ने सरकार से सीधा सवाल किया है —
क्या 8वें वेतन आयोग के ToR में पेंशन संशोधन को जानबूझकर हटाया गया है?
यह सवाल उठने के बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है, क्योंकि इससे पहले सभी वेतन आयोगों में पेंशन संशोधन को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया था। इस बार ToR में पेंशन सुधार का उल्लेख न होना पेंशनभोगियों में गंभीर चिंता पैदा कर रहा है।
क्या पेंशन संशोधन को आयोग के दायरे से बाहर किया जा रहा है?
सांसदों ने सदन में पूछा है कि यदि पेंशन संशोधन “प्रस्तावित नहीं” है, तो यह ऐतिहासिक बदलाव क्यों किया जा रहा है?
कर्मचारी यूनियनें कह रही हैं कि ToR में शामिल की गई “unfunded cost of non-contributory pension schemes” जैसी भाषा यह संकेत देती है कि सरकार सामाजिक सुरक्षा से अधिक वित्तीय बोझ पर ध्यान दे रही है। इससे करोड़ों पेंशनरों में असंतोष और आशंका बढ़ी है।
DA–DR मर्जर पर भी बड़ा सवाल—कब मिलेगा फैसला?
महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) 50% से ऊपर जा चुके हैं, ऐसे में कर्मचारी संगठन इसे मूल वेतन (Basic Pay) में मिलाने की जिद पर अड़े हैं। उनका कहना है कि DA-DR मर्जर होने से कर्मचारियों और पेंशनरों को तुरंत राहत मिलेगी।
अब नज़रें इस बात पर हैं कि क्या वित्त मंत्रालय 2 दिसंबर को इस पर हरी झंडी देता है या फिर निर्णय को 2027 में आने वाली 8वीं CPC की अंतिम रिपोर्ट तक टाल दिया जाएगा।
69 लाख पेंशनरों की आय पेंशन संशोधन पर निर्भर
देश के लगभग 69 लाख पेंशनभोगी पेंशन संशोधन पर निर्भर हैं ताकि उनकी आय वर्तमान कर्मचारियों के अनुरूप बनी रहे।
यदि सरकार 8वें वेतन आयोग से पेंशन संशोधन को बाहर रखती है, तो—
- पेंशन का ढांचा बड़ी तरह बदल सकता है
- पुराने और नए पेंशनरों के बीच आय का अंतर और ज्यादा बढ़ जाएगा
- OPS की मांग और तेज हो सकती है
यूनियनों का कहना है कि यदि सरकार ToR में संशोधन नहीं करती, तो वे आंदोलन तेज करेंगे। कई संगठनों ने पहले ही चेतावनी दे दी है कि जरूरत पड़ी तो देशव्यापी प्रदर्शन किए जाएंगे।
अब सबकी निगाहें इन दो सबसे महत्वपूर्ण सवालों पर
आने वाले सप्ताह में सरकार के जवाब पर सभी केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी नज़रें गड़ाए हुए हैं। दो बड़े सवाल हैं—
1️⃣ क्या 8वें वेतन आयोग के तहत पेंशन संशोधन होगा या नहीं?
2️⃣ क्या सरकार DA–DR को बेसिक पे में जल्द मर्ज करेगी?
इन दोनों सवालों के जवाब सीधे तौर पर करोड़ों परिवारों की आय, आने वाली पेंशन और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करेंगे।
