निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग लंबे समय से जारी है। बजट 2025 से पहले ईपीएस-95 सेवानिवृत्त कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये प्रति माह करने और महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने की मांग दोहराई।
EPFO की महत्वपूर्ण बैठक और संभावित निर्णय
आज EPFO की एक अहम बैठक होने वाली है, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट रेट में कटौती पर फैसला लिया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है। सितंबर 2014 में केंद्र सरकार ने ईपीएस-95 पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह तय की थी।
EPF योगदान प्रणाली
कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12% प्रोविडेंट फंड में जमा करता है।
नियोक्ता भी उतनी ही राशि का योगदान करता है।
नियोक्ता द्वारा जमा किए गए 8.33% ईपीएस (पेंशन योजना) में जाता है, जबकि 3.67% प्रोविडेंट फंड खाते में जमा होता है।
ईपीएफओ सदस्यों की प्रमुख मांगें
न्यूनतम पेंशन वृद्धि – 7,500 रुपये करने की मांग।
महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने की अपील।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके जीवनसाथियों के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधा।
उच्च पेंशन लाभ के लिए आवेदन प्रक्रिया में सुधार।
क्या 2025 में बढ़ेगी न्यूनतम पेंशन?
EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति के अनुसार, वित्त मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को सकारात्मक आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। पिछले 7-8 वर्षों से पेंशनर्स अपनी पेंशन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। अब सभी की नजरें EPFO की बैठक और 2025 के बजट पर टिकी हैं कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है।
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