हमारे हिंदू धर्म में कर प्रकार के रीति विवाज और परम्पराएं हैं। इनमें से कई का आध्यात्मिक कारण होने के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी होता है। आप ने देखा होगा कि जब भी बड़े बुजुर्ग भोजन शुरू करते हैं तो पहले थाली के चारों ओर पानी छिड़कते हैं। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर ये जल का छिड़कवाव क्यों किया जाता है? इसकी क्या वजह है? चलिए जानते हैं।
क्यों छिड़का जाता है भोजन के पहले जल?
सबसे पहले बता दें कि भोजन की थाली के चारों ओर जल का छिड़कना या भोजन शुरू करने से पूर्व मंत्रों का उच्चारण करना काफी पुरानी परंपरा है। इसे हर क्षेत्र में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे नॉर्थ इंडिया में इसे आमचन और चित्र आहुति कहा जाता है। तमिलनाडु की बात करें तो वहाँ ये परंपरा परिसेशनम नाम से फेमस है।
धार्मिक कारण
आज हम आपको भोजन की थाली के चारों ओर जल का छिड़काव करने की असली वजह बताने जा रहे हैं। इसे जानने के बाद आप यह जानकारी युवा पीढ़ी को भी देना ताकि वे भी इस परंपरा को आगे तक ले जाए। इस परंपरा की धार्मिक वजह की बात करें तो ये एक तरह से अन्न देवता के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक तरीका होता है। इससे अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा खुश होती हैं। उनके आशीर्वाद से भक्तों के घर हमेशा बरकत बनी रहती है। उन्हें धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है।
वैज्ञानिक कारण
आपको जान हैरानी होगी कि भोजन से पहले जल छिड़कने का वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल पुराने लोग अक्सर जमीन पर बैठकर खाना खाया करते थे। ऐसे में उनके खाने की खुशबू से छोटे मोटे कीड़े मकोड़े भी आकर्षित होकर उनके पास चले आते थे। ऐसे में जब थाली के चारों ओर पानी छिड़क दिया जाता था तो वे भोजन थाली में प्रवेश नहीं कर पाते थे। इसके अलावा जमीन पर थाली के आसपास मौजूद धूल मिट्टी भी पानी से बैठ जाया करती थी।
खाने से जुड़ी अन्य परंपराएं
खाने से जुड़ी एक और प्रचलित परंपरा है। जब भी लोग भोजन करना शुरू करते हैं तो उसका कुछ हिस्सा थाली में या बाहर रख देते हैं। ऐसे वह भगवान को पहला भोग लगाने को करते हैं। हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना होता है कि यह पहला हिस्सा हमारे आसपास मौजूद अलौकिक शक्तियों या मृत पूर्वजों के नाम होता है।
इसी तरह जब हम घर से बाहर किसी पार्क या अन्य खुली जगह पर खाना शुरू करते हैं तो भोजन का कुछ हिस्सा आसपास डाल देते हैं। इससे बुरी शक्तियां खाने की खुशबू से हमारी ओर आकर्षित नहीं होती है। उन्हें लगता है हमने ये हिस्सा उनके सम्मान में दिया है। फिर वह हमे परेशान नहीं करती हैं।