आलू की खेती के बाद पछेती गेंहू किस्म (Late Wheat Variety) बोना चाहते है तो, आइए आपको बताते है एक ऐसी पछेती किस्म के बारे में, हो मात्र 105 से 110 दिन में बढ़िया पैदावार देगी।
Late Wheat Variety | आमतौर पर गेहूं की बुवाई के लिए 15 दिसंबर तक का समय उत्तम माना जाता है, लेकिन खेत तैयार या खाली नहीं होने की वजह से किसान 15 दिसंबर के बाद तक गेहूं की बुवाई करते हैं।
खासकर ऐसे किसान जो तीसरी फसल के रूप में आलू की खेती करते है। आलू की खेती के बाद किसान गेहूं के सामान्य किस्मों की ही बुवाई कर देते हैं। : Late Wheat Variety
नतीजतन उपज कम होती है, जबकि गेहूं की पछेती बुवाई करके अच्छी उपज लेने के लिए बाजार में उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध हैं। यहां हम आपको चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में 1 ऐसी गेंहू की लेट वैरायटी के बारे में जानकारी लेकर आए है।
जो मात्र 105 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जायेगी। इसी के साथ यह किस्म ज्यादा तापमान में भी समय पूर्व नही पकेगी। इस किस्म (Late Wheat Variety) का नाम है एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या)। इसकी संपूर्ण जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें। तो आइए जानते है..
गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) की जानकारी
Late Wheat Variety | गेहूँ की यह किस्म गेहूँ अनुसंधान केन्द्र, इंदौर (IARI) से वर्ष 2021 में जारी की गई है। इसका गजट नोटिफिकेशन क्र. एस. ओ. 500 (E) दिनांक 29.1.2021 है।
गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ आदर्श किस्म के रूप में म.प्र., राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झाँसी क्षेत्र देश के मध्यक्षेत्र में बोनी हेतु अनुंशसित की गई है। इस किस्म ने अपनी चेक किस्मों के विरूद्ध 17 से 30 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन दिया है।
गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म की उत्पादन क्षमता
Late Wheat Variety | गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म में अधिक तापमान की स्थितियों में भी अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के गुण के कारण लगभग 30 क्विंटल एकड़ या 70.60 क्विंटल हेक्टेयर तथा व्यवहारिक परिस्थितियों में किसानों द्वारा इससे भी अधिक उत्पादन का रिकार्ड बनाकर किसानों की आय बढ़ाने हेतु एक नया मार्ग व आत्मविश्वास प्रदान किया है।
इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उच्च तापमान होने पर भी यह किस्म जल्दी नहीं पकती है, जिससे इसका उत्पादन कम नहीं होता है। फरवरी / मार्च में तापमान बढ़ने पर अन्य पुरानी किस्मों में जो 20 प्रतिशत तक की क्षति उत्पादन में होती है। वह इस किस्म की बढ़े तापमान को सहन करने की क्षमता के कारण इसमें नहीं होती है। : Late Wheat Variety
यहां दिए उत्पादन के आंकड़े गहन रिसर्च एवं अनुसंधान के पश्चात् जो कि रिसर्च स्टेशन इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, पवाँरखेड़ा, सागर व देश के अन्य रिसर्च स्टेशन से प्राप्त आकड़ों व तथ्यों के आधार पर दिये गये है। इन आकड़ों के परिपेक्ष्य में एडवांस जनरेशन की किस्म होने के कारण बढ़े तापमान पर भी अपनी उत्पादन क्षमता बनाये रखते हुए ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भी किसानों को सुरक्षा प्रदान करेगी।
गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म की अवधि / उम्र
Late Wheat Variety | पूसा अहिल्या एक अर्ली किस्म अवधि 105 से 110 दिवस होने से इस किस्म को देरी बोनी हेतु दिसम्बर के अंत तक बोने के लिये भी एक सर्वश्रेष्ठ किस्म के रूप में अनुशंसित किया गया है।
जिसके कारण आलू-मटर व अन्य अगाती फसल लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म वरदान सिद्ध होगी तथा तृतीय फसल चक्र के रूप में किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करेगी।
पूसा अहिल्या किस्म एक अर्ली किस्म होने से अवधि 105 से 110 दिवस व तापमान की सहनशीलता के गुण के कारण दो सिचाई में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता जिससे बिजली पानी की बचत तीन से चार सिंचाई देने पर उत्पादन में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। : Late Wheat Variety
चपाती के लिए सर्वश्रेष्ठ गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म
इस किस्म की ऊँचाई कम 80 से 85 से.मी. होने व कुचे (टिलरिंग) काफी होने से आड़ा पड़ने की (लॉजिंग) की समस्या नहीं। तकनीकी एनेलेसिस एवं लेब से प्राप्त आकड़ों के अनुसार पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु देश की सर्वश्रेष्ठ किस्म बन सकती है।
क्योंकि इसमें चपाती हेतु तय क्वालिटी मानक में (7.86) बिस्कीट हेतु (6.73) स्कोर व गलु स्कोर (8 / 10) सेडिमेटेशन वेल्यू ( 44.8 एम. एल.) टेस्ट वेट (81.8 कि.ग्रा. / HL) हाईग्रीन हार्डनेस (81.4 कि.ग्रा. / HL) उच्चस्तर पर है। : Late Wheat Variety
इसके साथ इस किस्म में प्रोटीन उच्चस्तर पर (12.1% ) आयरन ( 39.6 पी.पी.एम.) जिंक ( 36.6 पी.पी.एम.) अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च स्तर पर होने से इस किस्म में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का अनुठा एवं दुर्लभ संयोजन एक साथ होने से चपाती एवं बिस्कीट हेतु यह एकमात्र आदर्श किस्म है। जो कि भविष्य में कृषकों एवं चपाती / बिस्कीट उपभोक्ताओं की पहली पंसद बन जावेगी।
गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म की अन्य खासियत
Late Wheat Variety | इस किस्म के दाने आकर्षक, चमकदार होने से किसानों को आकर्षक बाजार भाव इसके 1000 दानों का वजन लगभग 40 ग्राम। इस किस्म में कर्नाल बंट, लुज स्मट, स्टेम रस्ट, लीफ ब्लाईट, फ्यूजेरियम हेड ब्लाईट, रूट राट, फ्लेग स्मट आदि बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता होने से सुरक्षित उत्पादन की गारंटी।
इस किस्म की बीज दर प्रति एकड 40 / 45 किलो प्रति हेक्टेयर लगभग 100 किलो व लाईन से लाईन की दूरी 9″ से 10 इंच रखने आदर्श कार्यमाला अनुसार अनुशंसित फर्टीलाईजर एवं सिंचाई प्रबंधन करने पर आदर्श परिणाम।
गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म अपनी उच्च उत्पादकता एवं अपनी सर्वगुण सम्पन्नता वाले उपरोक्त वर्णित गुणों के कारण अतिशीघ्र परम्परागत पुरानी किस्मों को पीछे छोड़कर एक अग्रणी किस्म के रूप में कृषि क्षेत्र एवं किसानों में लोकप्रियता के नए आयाम बनाकर अपना एक नाम व उच्च स्थान बनाने में सफल होगी। : Late Wheat Variety