टेक एक्सपर्ट्स की और से सुझाया जाता है की आपको अपने सिस्टम में लॉग इन करने के लिए टू स्टेप वेरिफिकेशन का इस्तेमाल करना चाहिए।इससे सिस्टम ज्यादा सिक्योर रहता है।लेकिन टू स्केप वेरिफिकेशन में झंझट ये होती है की आपको बार -बार ओटीपी डालना होता है। साथ ही गूगल ओटीपी में हैकिंग का भी खतरा रहता है।लेकिन गूगल के इम्प्लाइज अपने सिस्टम में लॉग इन करने के लिए ऐसा सिक्योर तरीका अपनाते है,जो सेफ भी और आसान भी है।
इसकी जानकारी अवनीश बंसल के शख्स ने किया है,जोकि खुद गूगल में काम कर चुके है।उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट के जरिये जानकारी दी की गूगल में कर्मचारी टू स्टेप वेरिफिकेशन के लिए फिजिकल सिक्योरिटी की का इस्तेमाल करते है।गूगल यह फिजिकल सिक्योरिटी की यूएसबी डिवाइस की तरह काम करती है ,जिसे लेपटॉप में कनेक्ट करना होता है।
ऐसे करती है काम
सिक्योरिटी की 2 यूनिक कोड बनाती है,पब्लिक और प्राइवेट।पब्लिक की गूगल के सर्वर में स्टोर रहती है,जबकि प्राइवेट की सिक्योरिटी स्टोर होती है ,जिसे रिमोटली एक्सेस नहीं किया जा सकता है।ऐसे में जब इम्प्लाई लॉग इन करता है तो गूगल सिक्योरिटी की को चेलेंज भेजता है। यूजर को साइन इन करने के लिए उस की को टच करना होता है।इसके बाद की गूगल के चेलेंज को वेरिफाई करती है और प्राइवेट की से लॉग इन कर देती है।इसके बाद ये रिस्पॉन्स गूगल के सर्वर में वापस भेज दिया जाता है।उसमे स्टोर पब्लिक को ये यूजर की आइडेंटिटी वेरिफाई की जाती है।
नहीं हो सकती हैक
इस प्रोसेस में इम्प्लाइज को सिक्योरिटी की को फिजिकल टच करना पड़ता है,जिससे हैकर इसे रियली आसान से हैक नहीं नहीं कर सकते है। सिक्योरिटी की ओटीपी से ज्यादा सिक्योरिटी देती है,क्युकी इसमें कोई मिडिल मेन नहीं होता है।इसलिए गूगल इनका इस्तेमाल अपने सिस्टम में करता है।