किसानों ने गेहूं की बुवाई सफलतापूर्वक कर दी है फिलहाल हर तरफ गेहूं की बुवाई हो चुकी है। गेहूं की फसल 25 दिन की होने में आई है ऐसी अवस्था में गेहूं को खास तरह के पोषण और उनकी देखभाल की बहुत ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि फसल के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि इसी दौरान गेहूं की फसल में पौधे पर कल्ले बनना शुरू होते है साथ ही फसल की ग्रोथ और प्रारंभिक स्तर इसी समय तय होता है।
अगर आप इस समय सही उर्वरक और सही प्रकार की दवाइयां का स्प्रे फसल पर करते हैं तो ऐसे में फसल हरी भरी और स्वस्थ बनी रहेगी। आईए जानते हैं की फसल में आपको कौन से उर्वरकों और दवाइयां का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे आपकी फसल अच्छा उत्पादन दे और स्वस्थ बनी रहे।
गेहूं में पहली सिंचाई
गेहूं की फसल की बुवाई को लगभग 25 दिनों का समय हो चुका है। अब ऐसे में यह सबसे सही समय है जब आपको गेहूं की फसल में सिंचाई करनी चाहिए। पहली सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण होती है इसलिए आपको इस समय फसल में सिंचाई कर देनी चाहिए। इस सिंचाई से पौधे की जड़े मजबूत होती है साथ ही सही ढंग से इसका विकास होता है। इसीलिए आपको गेहूं की सिंचाई फिलहाल कर देनी चाहिए।
गेहूं में यूरिया का इस्तेमाल
गेहूं की फसल में सही मात्रा में और सही उर्वरक का इस्तेमाल होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। गेहूं की फसल में यूरिया का इस्तेमाल करने का सही समय और सही मात्रा में करें तो आपको बुवाई के लगभग 25 दिन के बाद प्रति एकड़ 40 से लेकर 45 किलो यूरिया का इस्तेमाल करना सबसे सही होगा। सही मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल गेहूं के पौधे की वृद्धि बढ़ाएगा साथ ही इस पौधे को हरा भरा रखने में मदद करेगा। यूरिया का इस्तेमाल मुख्य रूप से पौधे की जड़ों और पत्तियों के साथ तने की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है। इसलिए आपको गेहूं की फसल में यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए।
गेहूं में जिंक का इस्तेमाल
गेहूं की फसल में अगर आपने इसकी बुवाई के समय जिंक का इस्तेमाल नहीं किया है तब आपको 25 दिन की अवस्था में 33% मोनो जिंक का उपयोग आपको यूरिया के साथ करना होगा। इस उर्वरक को 6 से 7 किलो प्रति एकड़ जिंक का इस्तेमाल गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित होता है। जिंक का इस्तेमाल करने से गेहूं की फसल में हरियाली बढ़ती है साथ ही जड़ों का विकास भी होता है। इतना ही नहीं इससे पौधा भी अच्छे तरीके से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है और पौधे में मजबूती और बेहतर ग्रोथ मिलती है। जिंक का इस्तेमाल गेहूं की फसल के लिए अच्छा माना जाता है।
गेहूं में सल्फर का इस्तेमाल
गेहूं में सल्फर का भी खास महत्व होता है। सल्फर का सही मात्रा में अगर इस्तेमाल करने की बात करें तो आपको गेहूं की बुवाई के लगभग 25 दिन के बाद इसका इस्तेमाल करना चाहिए इससे कई सारे फायदे देखने को मिलते हैं। बता दे सल्फर न केवल फंगीसाइड का काम करता है बल्कि यह प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में बहुत ज्यादा मददगार होता है।
इससे फसल में किसी प्रकार की बीमारी नहीं आती है और फसल की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता। गेहूं की फसल में आपको सल्फर को 5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए। सिंचाई करने के बाद आप इसको गेहूं की फसल में यूरिया और जिंक के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कीटनाशक का इस्तेमाल
फसलों में कई तरह के खरपतवार हो जाते हैं जो फसल को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। अब आपको ऐसे में इनका खत्म करने के लिए कई कीटनाशकों का इस्तेमाल करना होता है। जैसे खरपतवार नियंत्रण के लिए आपको आइसोप्रोटूरान का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दे यह कई व्यापारिक नाम से जाना जाता है। इसको सही मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। जैसे आप इसको एरीलॉन/मासलान/हिम एग्रीलॉन का इस्तेमाल 1700 ग्राम के हिसाब से प्रति हेक्टेयर में इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके साथ ही आपको क्लॉडीनाफार्म-प्रोपार्जिल 15 डब्ल्यू. पी. 60 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल लगभग 30 से 35 दिनों के अंदर कर लेना चाहिए। इससे खरपतवार पूरी तरह से नियंत्रण में आ जाएगा।