गेंहू के पौधों को कमजोर करने वाले कीटों का नाम, उनकी पहचान और उनसे फसल को बचाने का तरीका जानें। जिससे गेहूं की पैदावार बढ़ा सके।
गेहूं की खेती
हमारे देश में कई किसान ऐसे हैं जो कि रबी सीजन में गेहूं की खेती करते हैं। गेहूं की खेती पारंपरिक खेती है जो किसान वर्षों से करते आ रहे हैं। लेकिन हर साल कुछ नए किसान भी है जो गेहूं की खेती करते हैं और उन्हें उसमें लगने वाले कीट, रोग, बीमारी आदि की जानकारी नहीं होती। इसलिए हम किसानों को समय-समय पर इस बारे में जानकारी देते रहते हैं। जिसमें आज हम बात कर रहे हैं गेहूं की फसल में लगने वाले जड़ माहू और पीले पन की समस्या की। जिससे पैदावार घट सकती है।
क्योंकि यह पौधे को कमजोर बना देते हैं तो चलिए आपको बताते हैं जड़ माहू कीट की पहचान कैसे करें और इसके बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने क्या सलाह दी है।
जड़ माहू कीट की पहचान
गेहूं की फसल को जड़ माहू कीट बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। यह पौधे की जड़ में चिपक जाते हैं और रस चूस लेते हैं। जिससे फसल कमजोर हो जाती है। कमजोर फसल से कहां से अच्छे पैदावार किसानों को मिलेगी। इसलिए इस जड़ माहू कीट को किसानों को हटाना चाहिए। जड़ माहू कीट पौधे की जड़ के पास दिखाई देंगे। यह काले, पीले, भूरे रंग के होते हैं जो की जड़ के आसपास चिपके हुए रहते हैं। जो की पूरी फसल में तेजी से फैलने लगते हैं और फसल को बर्बाद करते हैं। अगर आपको यह समस्या दिखाई दे रही है तो चलिए कृषि वैज्ञानिकों से इसका उपाय जाने।
जड़ माहू कीट से फसल कैसे बचाएं
गेहूं के किसान जड़ माहू कीट से अपनी फसल को बचाने के लिए दो उपाय कर सकते हैं। जिन्हें नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानें।
- जिसमें पहला उपाय तो किसान भाई बुवाई के समय ही कर सकते हैं। लेकिन अगर बुवाई कर लिया तो दूसरा उपाय नीचे लिखा है मगर जो किसान अभी बुवाई करने जा रहा है तो बता दे कि गेहूं की फसल की जब बोते है उससे पहले इमिडाक्लोरोप्रिड 48 प्रतिशत, एफ.एस. की 01 मिली, एफ.एस. दवा की 1.5 मिली, अथवा थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत एक किलोग्राम के अनुसार लेकर बीज का उपचार कर दें। यह उपाय भी कारगर है। इससे फंगस आदि भी नहीं लगेगा।
- लेकिन जिन किसानों ने बुवाई कर लिया है और इस कीट की समस्या आ है तो अपनी फसल को बचाने के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड़ 17.8 एस.एल. की 80-100 मिली. मात्रा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 25 प्रतिशत डब्लूपी की 80 ग्राम मात्रा अथवा एसिटामाप्रिड 20 प्रतिशत एस.पी. दवा की 60 ग्राम मात्रा एक एकड़ के अनुसार लेंगे और 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना है। इसके आलावा थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत कीटनाशक की 250 मिली मात्रा को 50 किलो यूरिया खाद में मिलाकर एक एकड़ के अनुसार दें सकते है। यह उपाय भी कारगर है।
नोट: यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है। किसी भी दवा को डालने से पहले कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें।