गेंहू की फसल में गुल्ली डंडा, संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का प्रबंधन (Wheat Crop) जानें।
Wheat Crop | गेहूं की फसल में खरपतवारों का प्रकोप फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को प्रभावित करता है।
खासकर संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जो पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, फसल की वृद्धि को बाधित कर सकते हैं।
इन खरपतवारों का समय पर और सही तरीके से प्रबंधन करना आवश्यक है। आईसीएआर- भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने इन खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण के लिए कुछ वैज्ञानिक उपाय सुझाए हैं।
जो की फसल को बेहतर विकास और अधिक उपज देने में मदद करेंगे। आइए जानते हैं गेहूं में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों Wheat Crop का नियंत्रण हेतु कौन सी दवाई डालें….
संकरी या चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए यह दवाई डालें
Wheat Crop | गेहूं की फसल में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का प्रभावी प्रबंधन बेहद जरूरी है। संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनाफॉप 15 डब्ल्यूपी का 160 ग्राम प्रति एकड़ या पिनोक्साडेन 5 ईसी का 400 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करें।
वहीं, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2,4-डी ई का 500 मिली प्रति एकड़, मेटसल्फ्यूरॉन 20 डब्ल्यूपी का 8 ग्राम प्रति एकड़ या कार्केट्राजोन 40 डीएफ का 20 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें। : Wheat Crop
संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों खरपतवारों का प्रबंधन
यदि खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवार मौजूद हों, तो सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी का 13.5 ग्राम प्रति एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन + मेटसल्फ्यूरॉन 80 डब्ल्यूजी का 16 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करें। : Wheat Crop
इसे 120-150 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद छिड़कें। इसके अतिरिक्त, विविध खरपतवारों के नियंत्रण के लिए मेसोसल्फ्यूरॉन + आयोडोसल्फ्यूरॉन 3.6% डब्ल्यूडीजी का 160 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग किया जा सकता है।
फलारिस माइनर (कनकी गुल्ली डंडा) के लिए विशेष प्रबंधन
Wheat Crop | बहु खरपतवारनाशी प्रतिरोधी फलारिस माइनर (कनकी गुल्ली डंडा) के नियंत्रण के लिए बुवाई के 0-3 दिन बाद पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी का 60 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
यदि यह बुवाई के समय उपयोग नहीं किया गया हो, तो इसे पहली सिंचाई से 1-2 दिन पहले (20 दिन बाद) भी उपयोग किया जा सकता है।
इसके अलावा, क्लोडिनाफॉप + मेट्रिब्यूजिन 12+42% डब्ल्यूपी का 200 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें, जिसे पहली सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। : Wheat Crop
शीघ्र बोई जाने वाली गेहूं की फसल के लिए प्रबंधन
शीघ्र बोई जाने वाली और उच्च उर्वरता वाली गेहूं की फसलों के लिए, क्लोरमेक्वेट क्लोराइड 50% एसएल का 0.2% और टेबुकोनाजोल 25.9% ईसी का 0.1% मिलाकर टैंक मिक्स तैयार करें और इसका छिड़काव प्रथम नोड अवस्था (50-55 डीएएस) में करें। यह प्रक्रिया 160 लीटर प्रति एकड़ पानी के साथ पूरी करें।
Wheat Crop | गेंहू की फसल सुरक्षा
यदि बीज उचित स्थान संस्था से खरीदा गया है तो गेहूं की फसल में प्राय: कीट व व्याधि का प्रकोप नहीं होता है। इस समय पुरानी अधिकतर गेहूँ की प्रजातियाँ बीमारियों विशेषकर तना एवं पत्तियों के रतुआ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता खो चुकी हैं तथा ब्लाइट (पत्तियों का प्रकोप भी देखा जा रहा है।
यदि पत्तियों या तने का रतुआ (रस्ट) का प्रकोप हो तो तुरन्त 10 दिन के अंतराल पर 0.1 प्रतिशत का प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट 25 ईसी) का छिड़काव कम से कम दो बार करें यह दवा ब्लाइट के लिये भी प्रभावी है। कीट पर अन्य व्याधि का प्रकोप हो तो तुरन्त विशेषज्ञ सलाह से उपचार करें। : Wheat Crop
शाकनाशी के उपयोग में सावधानियां
शाकनाशी का छिड़काव हमेशा साफ मौसम में करें। यह सुनिश्चित करें कि बारिश, कोहरा, या ओस की स्थिति न हो। छिड़काव के लिए सही समय और निर्धारित मात्रा का पालन करना आवश्यक है।
खेत में खरपतवारों की पहचान और उनकी गंभीरता के अनुसार शाकनाशी का चयन करें। इन उपायों से फसल को खरपतवारों से बचाया जा सकता है और उपज में सुधार किया जा सकता है।