यूपी देश का सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे वाला राज्य तो पहले ही बन चुका है, अब यहां एक और एक्सप्रेसवे बनाने की तैयारी चल रही है, यह सड़क पूर्वी यूपी के गोरखपुर से निकलकर पश्चिमी यूपी के शामली तक जाएगी। फिलहाल यह एक्सप्रेसवे प्रस्तावित है, लेकिन जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो सकता हैं।
यूपी का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे
गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद पूर्वी यूपी से पश्चिमी यूपी तक यानी गोरखपुर से शामली तक सिर्फ 6 घंटे में पहुंचा जा सकेगा। शामली से हरिद्वार तक जाने में भी सिर्फ 2 घंटे समय लगेगा, जिसका मतलब हुआ कि गोरखपुर से शामली तक सिर्फ 8 घंटे में पहुंचा जा सकेगा, अगर आपको देहरादून जाना है तो हरिद्वार से महज 1 घंटे में पहुंच सकते हैं और वहां से 1 घंटे में आप मसूरी पहुंच जाएंगे। अगर आपको ऋषिकेश जाना है तो हरिद्वार से महज 30 मिनट की ड्राइव करके इस धार्मिक और पर्यटन नगरी पर पहुंच सकते हैं। गोरखपुर-शामली एक्सप्रेस-वे का अब नए सिरे से एलाइमेंट सर्वेक्षण शुरू हो गया है। अब यह एक्सप्रेस-वे नेपाल की सीमा से सटे जिलों से होकर लखनऊ, सीतापुर, बरेली और मेरठ होकर शामली तक जाएगा। पहले हुए सर्वे में गोरखपुर से बस्ती, गोंडा, सीतापुर रूट था, लेकिन अब नए सिरे से इसका निर्धारण हो रहा है। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से यूपी का पूरब और पश्चिमी हिस्सा सीधे जुड़ जाएगा। सात से आठ घंटे में गोरखपुर से शामली पहुंच जाएंगे। गोरखपुर-शामली एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए एलाइमेंट सर्वे का काम चल रहा है। इसके बाद डीपीआर तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। सर्वे के बाद ही एक्सप्रेस-वे का रूट तय हो पाएगा। प्रस्ताव के मुताबिक, गोरखपुर से महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर, पीलीभीत, बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर और मेरठ होते हुए शामली को जोड़ेगा।
देहरादून-मसूरी जाना भी आसान
गोरखपुर और शामली को जोड़ने वाले प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की योजना फिलहाल तैयार की जा रही है, एनएचएआई ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट ;डीपीआर तैयार करने के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया है, परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के बाद एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू होगा। इतना पक्का है कि इस एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जरूर जाएगा, इसके निर्माण की लागत करीब 35.000 करोड़ रुपये होने की संभावना है। एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक, मार्च तक एलाइमेंट सर्वे का काम पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। यह एक्सप्रेस-वे करीब 700 किमी लंबा होगा। सर्वे के बाद ही रूट का अंतिम निर्धारण तय हो पाएगा। पुराने सर्वे में यह एक्सप्रेस-वे 22 जिलों से होकर गुजर रहा था। अब कुछ जिलों का आंशिक हिस्सा भी आने से संख्या बढ़ सकती है। अभी इतना समय लखनऊ से बरेली जाने में ही लग जाते हैं। नेपाल की सीमा से जुड़े जिलों से होकर गुजरने के चलते इन इलाकों के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी। इससे इन इलाकों का व्यापार और कारोबार भी समृद्ध होगा।