प्रॉपर्टी के दाम जिस तेज रफ्तार से ऊपर जा रहे हैं, उसके चलते लोगों के मन में अब यह सवाल और तेज हो गया है कि घर खरीदना समझदारी है या किराए पर रहना? कई फाइनेंशियल सलाहकार आजकल कहते हैं कि EMI चुकाने के बजाय किराए पर रहें और उस पैसे को SIP में लगाएं। यह सलाह कई परिस्थितियों में सही हो सकती है, लेकिन हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। इसलिए समझना जरूरी है कि कब घर खरीदना लाभदायक है और कब किराए पर रहना बेहतर विकल्प है।
घर खरीदना कई मामलों में क्यों ज्यादा फायदेमंद साबित होता है?
यदि आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत है और आप EMI संभाल सकते हैं, तो संपत्ति खरीदना लंबी अवधि में बहुत लाभ देता है।
मुख्य कारण यह है कि EMI स्थिर रहती है, जबकि किराया हर साल बढ़ता रहता है।
उदाहरण के लिए, नोएडा एक्सटेंशन में 2BHK का किराया 5 साल पहले ₹10,000 था और आज यह लगभग ₹20,000 तक पहुंच चुका है। दिल्ली-NCR, बेंगलुरु और गुरुग्राम में यह समस्या और भी बड़ी है, जहां मकान मालिक हर साल कम से कम 8–12% किराया बढ़ाते हैं।
होम लोन की EMI किराए से बेहतर क्यों?
रियल एस्टेट विशेषज्ञ और अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव कहते हैं कि EMI को बोझ नहीं, बल्कि निवेश मानना चाहिए।
क्योंकि:
- EMI 20–25 वर्षों तक लगभग समान रहती है।
- किराया हर साल बढ़ता है और अंत में यह EMI के बराबर या उससे ज्यादा हो सकता है।
- समय के साथ आपकी प्रॉपर्टी की कीमत कई गुना बढ़ जाती है।
20 साल बाद किराए में खर्च किया गया पैसा सिर्फ खर्च है, जबकि EMI के जरिए बनाई गई संपत्ति आपकी पूंजी बन जाती है।
कमाई शुरू होते ही छोटा घर खरीदना क्यों जरूरी है?
बहुत से लोग बड़ा घर खरीदने की इच्छा में छोटा घर भी नहीं खरीदते—यह सबसे बड़ी गलती है।
अगर नौकरी की शुरुआत में ही आप अपनी क्षमता के अनुसार 1BHK या 2BHK ले लेते हैं:
- कुछ वर्षों में उसकी कीमत दोगुनी हो सकती है।
- बाद में आप इसे बेचकर बड़े घर में आसानी से अपग्रेड कर सकते हैं।
- यह आपका सबसे बड़ा वित्तीय एसेट बन जाता है।
रियल एस्टेट लंबी अवधि में हमेशा लाभ देता है, इसलिए शुरुआती निवेश बहुत कीमती साबित होता है।
उदाहरण: EMI बनाम किराया – कौन ज्यादा फायदेमंद?
मान लीजिए:
मामला 1: मोहन ने घर खरीदा
- फ्लैट कीमत: ₹60 लाख
- होम लोन: ₹45 लाख
- EMI: ₹41,000 प्रति माह
मामला 2: सोहन किराए पर रह रहा है
- किराया: ₹35,000 प्रति माह
20 साल का हिसाब:
| पैरामीटर | EMI वाला घर | किराए पर रहना |
|---|---|---|
| मासिक खर्च | ₹41,000 | ₹35,000 |
| 20 साल का कुल खर्च | ₹98.4 लाख | ₹84 लाख (10% सालाना बढ़ोतरी शामिल नहीं) |
| प्रॉपर्टी वैल्यू | ₹50 लाख → ₹80 लाख या अधिक | 0 |
| इनकम टैक्स लाभ | ~₹3.5 लाख/साल | कोई लाभ नहीं |
| अंतिम परिणाम | संपत्ति + टैक्स बचत | सिर्फ खर्च, कोई एसेट नहीं |
स्पष्ट है कि लंबे समय में घर खरीदना आर्थिक रूप से मजबूत फैसला बन जाता है।
किराए पर रहने का विकल्प कब बेहतर होता है?
रियल एस्टेट विशेषज्ञों के अनुसार, ये लोग अभी घर न खरीदें:
- जिनकी नौकरी बार-बार बदलती है
- जिनका नौकरी का शहर स्थिर नहीं है
- जिनके पास डाउन पेमेंट की कमी है
- जिनकी आय अभी बहुत स्थिर नहीं है
ऐसे मामलों में किराए पर रहना और पैसे को निवेश करना बेहतर साबित हो सकता है।
किराए पर रहने के 4 मुख्य फायदे
1. कम शुरुआती लागत
डाउन पेमेंट, रजिस्ट्रेशन, स्टाम्प ड्यूटी जैसे बड़े खर्चों की जरूरत नहीं।
2. नौकरी बदलने या शहर बदलने की पूरी आज़ादी
आप बिना झंझट किसी भी समय नई जगह जा सकते हैं।
3. रखरखाव की चिंता नहीं
बड़ी मरम्मत का खर्च मकान मालिक उठाता है।
4. अधिक लिक्विड कैश उपलब्ध
EMI न होने के कारण निवेश और बचत बढ़ाना आसान हो जाता है।
निष्कर्ष: घर खरीदें या किराए पर रहें—कौन-सा विकल्प बेहतर?
यदि आप लंबे समय तक एक ही शहर में रहने वाले हैं, नौकरी स्थिर है और EMI संभाल सकते हैं—तो घर खरीदना हमेशा एक मजबूत और सुरक्षित निवेश है।
लेकिन यदि आपका करियर शुरुआती चरण में है या आपको बार-बार लोकेशन बदलनी पड़ती है, तो किराए पर रहना और निवेश करना आपके लिए बेहतर विकल्प है।
