शुओं के पेट में कीड़े -देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पशुपालन में रोजगार दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान समय में पशुपालन एक बेहतर व्यवसाय के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। पशुपालन व्यवसाय से जुड़कर कई किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं और अपनी आजीविका में बदलाव ला रहे हैं. इसलिए भारत में खेती के बाद पशुपालन भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। लेकिन कई बार किसानों को पशुपालन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. जानकारी के अभाव के कारण पशुपालकों को अक्सर भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
नुकसान से बचने के लिए यह जानना जरूरी है कि डेयरी पशुओं में पेट में कीड़े होना एक ऐसी बीमारी है, जिसे पशुपालक एक आम बीमारी मानते हैं, लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो यह बहुत गंभीर बीमारी साबित हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जानवरों को पेड़ों में कीड़े लगने के लक्षण क्या हैं और उनके उपाय क्या हैं।
पशुपालकों को नुकसान होता है
ऐसा माना जाता है कि अगर जानवरों के पेट में कीड़े हों तो जानवर जो भी खाता है उसका बड़ा हिस्सा कीड़े खा जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जानवरों के पेट में कीड़े उन्हें दिए गए भोजन का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा खा जाते हैं। पेट में कीड़ों के कारण न केवल पशुओं का स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है बल्कि पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। ऐसे में अगर पशुपालक अपने पशुओं को हर तीन महीने में पेट के कीड़ों की दवा दें तो यह फायदे का सौदा होगा और नुकसान को कम किया जा सकता है.
पशुओ के पेट में कीड़े होने के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर आपका जानवर मिट्टी खाने लगे या कमजोर दिखने लगे तो यह पेट में कीड़े होने का सबसे बड़ा लक्षण है। कीड़ों द्वारा काटे जाने के बाद, जानवरों में दुर्गंधयुक्त, गंदा दस्त होता है। कभी-कभी गोबर में काला खून या कीड़े भी दिखाई देते हैं। इस अवधि में पशु में खून की कमी होने लगती है। इसके अलावा दुधारू पशु भी कम दूध देने लगते हैं, जिससे पशुपालकों को नुकसान होता है। वहीं, अगर इस बीमारी पर ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है।
ये है कीड़ों से बचाव का उपाय
यदि पशुओं के पेट में कीड़े हों तो समय रहते उनकी पहचान कर इलाज कराना चाहिए। इसके लिए पशुओं को हर तीन माह में डेवरमैक्स दवा देनी चाहिए। इससे पशुओं के पेट के कीड़े मर जाते हैं। साथ ही दवा खिलाने से पहले गोबर की जांच कर लेनी चाहिए. साथ ही पशुओं को हमेशा शुद्ध चारा और अनाज खिलाना चाहिए। इससे उनके पेट में कीड़े होने का खतरा कम हो जाता है