भारत सरकार ने हाल ही में इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट, 2025 लागू किया है, जिसके तहत देश में विदेशियों के प्रवेश और उनके ठहराव से जुड़े नियम और कड़े कर दिए गए हैं। यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा, संवेदनशील सीमा क्षेत्रों और सामाजिक व्यवस्था को मज़बूत करने के उद्देश्य से बनाया गया है। संदेश साफ है—भारत अब अपनी सुरक्षा नीति में किसी भी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जिन विदेशियों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों, जासूसी, आतंकवाद, हत्या, बलात्कार, बाल तस्करी या किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ाव जैसे गंभीर अपराध साबित होते हैं, उन्हें भारत में आने या रहने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।
निरुद्ध केंद्र और बायोमेट्रिक प्रक्रिया
कानून के तहत सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे विदेशियों को रखने के लिए निरुद्ध केंद्र (डिटेंशन कैंप) स्थापित करने का आदेश दिया गया है, जब तक कि उन्हें देश से बाहर न भेज दिया जाए। इसके अलावा, किसी भी वीज़ा आवेदक—चाहे वह प्रवासी भारतीय नागरिक (OCI) कार्डधारक ही क्यों न हो—को वीज़ा जारी करने या पंजीकरण से पहले अपनी बायोमेट्रिक जानकारी देना अनिवार्य होगा।
यदि कोई विदेशी अवैध रूप से भारत में पाया जाता है, तो उसे निर्वासन की प्रक्रिया पूरी होने तक होल्डिंग सेंटर में ही रखा जाएगा और उसकी आवाजाही सीमित कर दी जाएगी। सीमा सुरक्षा बल और तटरक्षक बल को भी अवैध प्रवेश रोकने और उनकी पहचान केंद्र सरकार के पोर्टल पर दर्ज करने का दायित्व सौंपा गया है।
किन गतिविधियों पर लगेगी रोक?
गृह मंत्रालय के अनुसार, किसी विदेशी को भारत में प्रवेश या ठहराव से इन कारणों से रोका जा सकता है:
- आतंकवादी या विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होना या आर्थिक मदद करना
- मादक पदार्थों और मन:प्रभावी ड्रग्स की तस्करी
- मानव तस्करी और बाल शोषण
- साइबर अपराध, नकली दस्तावेज़ों या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी धोखाधड़ी
- नकली मुद्रा का लेन-देन
साथ ही, रोजगार वीज़ा वाले विदेशी बिना अनुमति बिजली, जल आपूर्ति या पेट्रोलियम क्षेत्र से जुड़े निजी उपक्रमों में काम नहीं कर पाएंगे।
मीडिया और पर्वतारोहण पर नई शर्तें
कोई भी विदेशी भारत में फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, टीवी शो, वेब सीरीज़ या किसी भी सार्वजनिक प्रदर्शन हेतु कंटेंट तभी बना सकेगा, जब उसके पास केंद्र सरकार की लिखित अनुमति होगी। इसी तरह, भारत में किसी भी पर्वत शिखर पर चढ़ाई करने के लिए पहले से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। चढ़ाई करने वालों को मार्ग का विवरण, एक संपर्क अधिकारी की नियुक्ति और संचार उपकरणों की जानकारी भी सरकार को देनी होगी।
प्रतिबंधित क्षेत्र और विशेष नियम
हर विदेशी नागरिक को किसी संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने के लिए परमिट लेना होगा। हालाँकि, अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान मूल के व्यक्तियों को इन क्षेत्रों में प्रवेश की इजाज़त बिल्कुल नहीं दी जाएगी। इन क्षेत्रों में पूरा अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और सिक्किम शामिल हैं, साथ ही जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के कुछ हिस्से भी इसमें आते हैं।
नई नीति का संदेश
यह कानून दर्शाता है कि भारत अब विदेशियों की गतिविधियों को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपना रहा है। बढ़ते आतंकी नेटवर्क, साइबर अपराध और अवैध आव्रजन जैसी चुनौतियों ने सरकार को और सतर्क कर दिया है। हालांकि, चिंता यह भी है कि इतने कड़े प्रावधानों का असर कहीं भारत की “सॉफ्ट पावर”—शिक्षा, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान—पर न पड़े। इसलिए सरकार के सामने असली चुनौती यही होगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करते हुए वैध और निर्दोष विदेशियों के साथ न्याय सुनिश्चित किया जाए।