इतिहासकारों का मानना है कि मौर्य समाज की स्थापना में आचार्य चाणक्य का योगदान अतुलनीय रहा है। चाणक्य की नीतियाँ आज भी अनेक लोग अपने जीवन में उतारते हैं और उन्हें सफलता की कुंजी मानते हैं। चाणक्य की नीतियाँ न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि समाजिक ढांचे में भी परिवर्तन लाने में सहायक सिद्ध हुई हैं।
चाणक्य की नीतियाँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि उनके समय में थीं। ये नीतियाँ न केवल व्यक्तिगत सफलता की कुंजी प्रदान करती हैं। बल्कि सामाजिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भी मार्गदर्शन करती हैं।
संगीनी के गुणों पर चाणक्य की नीति
चाणक्य ने अपनी नीतियों में कहा है कि एक व्यक्ति की सफलता में उसकी पत्नी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यदि पत्नी कुशल और गुणवान हो तो वह घर को स्वर्ग बना देती है। परंतु यदि उसमें नकारात्मक गुण हों, तो वही स्वर्ग नर्क में बदल सकता है।
घमंडी स्वभाव – घर की बर्बादी
चाणक्य के अनुसार जिस स्त्री में अपनी सुंदरता का घमंड होता है। वह अपने परिवार को बर्बादी की ओर ले जा सकती है। सुंदरता पर घमंड करने वाली स्त्री अक्सर अपने व्यवहार में अहंकार दिखाती है, जो पारिवारिक संबंधों के लिए हानिकारक होता है।
भौतिकतावादी सोच
चाणक्य की नीति कहती है कि जो स्त्री केवल भौतिक सुख-सुविधाओं के बारे में सोचती है। उसके द्वारा परिवार की उपेक्षा की जा सकती है। ऐसी महिलाएं परिवार और संबंधों की तुलना में व्यक्तिगत सुख को अधिक महत्व देती हैं। जिससे पारिवारिक ताना-बाना कमजोर पड़ सकता है।
दूसरों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति
जो महिलाएं दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करती हैं और अशिष्टता का परिचय देती हैं। उनसे घर में सौहार्द्र की अपेक्षा करना व्यर्थ है। चाणक्य के अनुसार ऐसी महिलाएं परिवार की एकता को भंग कर सकती हैं।
असत्य और धोखाधड़ी का सहारा
चाणक्य ने यह भी कहा है कि जो महिलाएं झूठ और धोखाधड़ी का सहारा लेती हैं, वे घर को विखंडित कर सकती हैं। ऐसी महिलाएं पति और परिवार के बीच विवाद उत्पन्न करने की क्षमता रखती हैं और घर की शांति को भंग कर सकती हैं।
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