उत्तराखंड की चार धाम में अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से 60 से ज्यादा श्रद्धालुओं की जान प्राकृतिक कारणों या खराब स्वास्थ्य की वजह से गई है जबकि आठ लोग ऐसे हैं जिनकी मौत हेलीकॉप्टर क्रैश समेत बाकी वजहों से हुई है।
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में केदारनाथ ,बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री ये चार धाम आते हैं और 30 अप्रैल से इन चारों पावन धाम की यात्रा शुरू हुई है। सबसे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और फिर उसके बाद केदारनाथ और श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले हैं।
चार धाम यात्रा को अभी सिर्फ 34 दिन हुए हैं और अब तक 74 लोगों की यहां मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि 66 श्रद्धालुओं की मौत स्वास्थ्य खराब की वजह से हुई है। राज्य आपदा परिचालन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार चार धाम यात्रा में स्वास्थ्य खराब होने की वजह से प्राकृतिक मृत्यु के आंकड़े 66 हैं।
वहीं आठ श्रद्धालुओं की मौत अन्य कारणो से भी हुई है। केदारनाथ धाम में सबसे ज्यादा श्रद्धालु 31 लोगों की मौत स्वास्थ्य खराब होने की वजह से हुई है। इसके बाद बद्रीनाथ धाम में 15 यात्रियों की मौत, गंगोत्री धाम में 8 तो यमुनोत्री में 12 श्रद्धालुओं की जान सेहत खराब की वजह से हुई है।
केदारनाथ धाम में एक यात्री की मौत अन्य वजह से हुई।
गंगोत्री धाम में छह श्रद्धालुओं की मौत हेलीकॉप्टर क्रैश की वजह से जबकि यमुनोत्री धाम में एक यात्री की मौत हुई। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने यह नहीं बताया है कि 66 लोगों की मृत्यु प्राकृतिक कारणो से हुई या उनके सेहत खराब की वजह से। चारों धामों में यमुनोत्रीयों केदारनाथ धाम की यात्रा काफी मुश्किल है और यह पैदल यात्रा करना काफी कठिन है।
यह यमुनोत्री धाम में 5 किलोमीटर यात्रियों को पैदल चलना पड़ता है। इसी तरह केदारनाथ धाम में 21 किलोमीटर की यात्रा पैदल करनी पड़ती है। ऐसे में इन दोनों धामों में सबसे ज्यादा श्रद्धालु खराब स्वास्थ्य की वजह से कई तरह की दिक्कतों का सामना करते हैं।
उत्तराखंड के चारों धामों 3000 मीटर से ज्यादा ऊपरी हिमालय क्षेत्र में बसे हुए हैं। यहां पर ज्यादा ऊंचाई की वजह से ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो जाता है। जिसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक या फिर कुछ और तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार का दावा है कि उसने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई हैं।
सरकार की मानें तो चारों धामों में स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं और डॉक्टरों की भी तैनाती की गई है लेकिन सिर्फ 34 दिनों में 66 श्रद्धालुओं की मौत खराब होने के चलते मौत के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कैसी होगी।