Success Story of Inderjit Singh Agriculture Inter Cropping : हरियाणा के एक किसान ने इंटर क्रॉपिंग विधि से खेती शुरू कर लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया है. इस तकनीक से खेती शुरू करते ही किसान बिक्रमजीत सिंह की कमाई बढ़ गई. विशेष बात यह है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, इजराइल और जर्मनी में जाकर इंटर क्रॉपिंग विधि से खेती करने का तरीका सीखा है. अभी वे 11 एकड़ में इंटर क्रॉपिंग कर रहे हैं. इससे उन्हें साल में लाखों रुपये की कमाई हो रही है. उनका कहना है कि आने वाले कुछ सालों में वे इंटर क्रॉपिंग के क्षैत्र में और बढ़ोतरी करेंगे।
बिक्रमजीत सिंह यमुनानगर के भगवानगढ़ रहने वाले हैं. उनके पास खेती करने योग्य 72 एकड़ जमीन है. इनमें से 11 एकड़ में वे इंटर क्रॉपिंग विधि से खेती कर रहे हैं. उनके बाग में लीची, अमरूद, मूंग और पपीता सहित कई तरह की फसलें हैं. विशेष बात यह है कि बिक्रमजीत सिंह के बाग में अमरूद के 600 पेड़ हैं. इन पेड़ों के बीच में वे मक्के और लीची की खेती भी कर रहे हैं. पिछले तीन साल से वे इंटर क्रॉपिंग तकनीक से खेती कर रहे हैं।
इंटर क्रॉपिंग किसे कहते हैं
एक ही खेती में अलग- अलग तरह की फसलें उगाने की विधि को इंटर क्रॉपिंग कहते हैं. इसके तहत एक खेत में समान दूरी पर आम, अमरूद, लीची और जामुन सहित अन्य फसलों के पौधों की रोपाई की जाती है. वहीं, इन पौधों के बीच में मूंग, मटर, केला, मक्का, टमाटर और अन्य हरी सब्जियों की खेती की जाती है।
इस तकनीक से खेती करने पर किसानों की कमाई बढ़ जाती है. वहीं, बिक्रमजीत सिंह का कहना है कि लीची के पौधे लगाने के 5 साल बाद उसमें फल आने शुरू हो जाते हैं. यानी कि 5 साल बाद आप लीची बेचकर कमाई कर सकते हैं. अगर आप चाहें, तो लीची के बाग में मक्के की खेती भी कर सकते हैं।
किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं
वहीं, उद्यान विभाग के अधिकारी कृष्ण कुमार का कहना है कि इंटर क्रॉपिंग विधि से खेती करने पर किसानों की इनकम बढ़ जाती है. उनकी माने तो हरियाणा में कई किसान धीरे- धीरे इंटर क्रॉपिंग की तरफ बढ़ रहे हैं. इसके लिए उद्यान विभाग भी लोगों में जागरूकता फैला रहा है. साथ ही किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. प्रदेश में किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत बंपर सब्सिडी दी जा रही है।