भारत एक कृषि प्रधान देश है।यहाँ आज भी बड़े स्तर पर खेती की जाती है।भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में खेती के साथ पशुपालन पर भी जोर दिया जाता है।एक विविद संस्कृत वाल देश होने के नाते यहाँ गाय की कई देशी नस्ले पायी जाती है।गाय की ये ग्रामीण अर्धव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,क्युकी वे दूध,मास खाद प्रदान करती है।इतना ही नहीं इन्हे अपने धार्मिक और संस्कृतिक महत्व के लिए भी किए क्षेत्रों में पूजा की जाती है।भारत में गाय की 50 से ज्यादा रजिस्टर्ड नस्ले है।लेकिन आपको गाय की उन टॉप नस्लों के बारे में बताएगे जो उन्हें गाय की अन्य नस्लों से अलग बनाती है।
लाल सिंधी गाय
पाकिस्तान के सिंध प्रातः से निकलकर राजस्थान और गुजरात जैसे भारतीय राज्यों में फैली,लाल सिंधी गाय गहरे लाल या भूरे कलर के कोट और पंच पर एक अलग सगड़ सिच के साथ मध्यम आकार ही होती है।विशेष रूप से लाल सिंधी गाय भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय है,जिसकी औसत उपज 11 से 15 लीटर प्रतिदिन है।लाल सिंधी गाय गर्मी और नमि के प्रति इसकी लचीलापन,कम गुणवत्ता वाले चारे पर पनपने की क्षमता के साथ डेयरी फार्मिंग में इसके मूल्य को ऑर्डर बढ़ा देता है
गिर गाय
गुजरात के गिर वन क्षेत्र से उतपन्न,गिर गाय अपने बड़े कूबड़ लंबे कान और उभरे हुए माथे की विशेषता के साथ अपनी आकर्षक उपिस्थति के कारण अलग दिखती है।अपनी उत्पादकता के लिए प्रसीद,यह प्रतिदिन 6-10 लीटर दूध का प्रभावशाली उत्पादन करती है।उच्च गुणवत्ता वाला दूध देने के अलावा,गिर गाय के विविध जलवायु परिस्थतियो कर प्रति अनुकुलशीलता और रोगो और परजीवियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता इसे डेयरी उधोग में एक बेशकीमती नस्ल बनाती है।
हरियाणा गाय
हरियाणा गाय की उतपति हरियाणा राज्य से हुई है।यह नस्ल जब,उत्तर प्रदेश और बिहार में भी पाई जाती है।गाय की यह नस्ल माध्यम आकार की होती है,जिसमे पंच पर काले स्विच के साथ सफेद या हल्के भूरे कलर का कोट होता है।इसका चेहरा और सपाट,अतः,साथ ही छोटे सींग और छोटा कूबड़ इसके गुण है दोहरे नस्ल के रूप में यह प्रतिदिन औसतन 4-6 लीटर दूध देती है और जुताई और माल ढोने वाले वाहनों को चलाने जैसे कृषि कामो में योगदान देती है।