झाड़ियों में छुपा हुआ है काजू का बाप, हड्डियों का राजा, इसे सूखा कर बेचने पर होती है पैसो की बारिश। आज हम आपको ऐसे फल के बारे में बताने जा रहे है जो रेगिस्तानी इलाकों में आसानी से मिल जाता है। बिना पानी के पैदा होने वाला यह फल जिसका नाम कैर-सांगरी है। ये काजू से भीअधिक फायदेमंद होता है। कई लोग इसे हड्डियों का राजा भी कहते है क्योकि इसके सेवन से हड्डिया मजबूत रहटी है। चलिए जानते हैं इस फल से खेती कैसे की जाती है।
कैैर और सांगरी की खेती
कैर और सांगरी की खेती खेजड़ी के पेड़ों और झाड़ियों पर होती है। सांगरी की खेती नहीं करनी पड़ती क्योंकि यह खुद ही प्राकृतिक रूप से उगती है। सांगरी खेजड़ी के पेड़ पर उगने वाला फल है। इसके बढ़ते बाजार की मांग को देखते हुए, अब कई किसान इसे उगाने लगे हैं।
खास बात यह है कि इसे बंजर से भी बंजर जगह और बिना पानी वाले जमींन में भी उगाया जा सकता है। कैैर और सांगरी की खेती शुष्क क्षेत्रों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि ये फसलें कम पानी में भी अच्छी तरह से उगती हैं। इन्हें गर्म और शुष्क जलवायु में उगाना बेहतर होता है, और ये रेतीली या हल्की दोमट मिट्टी में अच्छे से बढ़ती हैं।
कैर-सांगरी के फायदे
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: कैर-सांगरी में मौजूद जिंक और मैग्नीशियम इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं, जिससे शरीर रोगों से बचा रहता है।
- हड्डियां मजबूत करें: इसके पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
- दिल के लिए फायदेमंद: केर दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- पाचन में मदद: कैर-सांगरी पाचन तंत्र को सुधारती है और गैस, अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाती है।
- उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करे: इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।
- डायबिटीज और हाइपरटेंशन में मदद: केर डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
- सांगरी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है।
कैर-सांगरी की खेती से कमाई
सांगरी और केर की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है, और इनकी कीमतें बाजार और मौसम के हिसाब से बदलती रहती हैं।
- सांगरी: जब सांगरी कच्ची होती है, तो स्थानीय बाजार में इसकी कीमत 100-150 रुपये प्रति किलो होती है। लेकिन जब इसे सुखाया जाता है, तो इसकी कीमत 5 गुणा तक बढ़ जाती है। इसके सूखने पर यह 500-600 रुपये प्रति किलो तक बिक सकती है। अगर अन्य राज्यों में राजस्थान के आलावा बेचा जाए तो यह 1800-2000 रुपये प्रति किलो तक बिक सकती है। ऑनलाइन बिक्री पर इसकी कीमत 2400-2600 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है।
- केर: केर की कच्ची अवस्था में स्थानीय बाजार में इसकी कीमत 160-200 रुपये प्रति किलो होती है। सूखने के बाद इसकी कीमत बढ़कर 1000-1200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। अगर इसे अन्य राज्यों में बेचा जाए, तो इसकी कीमत 1600-2000 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है।