आज हम सफलता की कहानी में लेकर आए हैं, झारखंड की रहने वाली महिला किसान मुनिया देवी की,जो सरकारी योजना की सहायता से आधुनिक खेती से अच्छी आमदनी अर्जित कर रही है।
मुनिया देवी का परिचय
मुनिया देवी झारखंड के छोटे से गांव चतरा की रहने वाली हैं। उनके पास 4 एकड़ ज़मीन है, जिसमें वे पहले सामान्य खेती करके अपना परिवार चला रही थीं, पर इस खेती से न तो ज्यादा फसल का उत्पादन होता था और न ही ज्यादा आमदनी होती थी। वे खेती में कुछ नया करना चाहती थीं, तभी उन्होंने किसान समूह से सरकारी योजना आत्मा के बारे में सुना। इस योजना ने उनके खेती की दिशा बदल दी और इनके जीवन स्तर को बदल के रख दिया।
आत्मा योजना से खेती में आया बड़ा बदलाव
मुनिया देवी ने सरकारी योजना आत्मा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के बारे में किसान समूह से जाना। जिसके बाद वे इस योजना से जुड़ी और उन्होंने अपने खेती को एक नया रूप दिया हैं। वहां के अधिकारियों ने उनके खेत का निरीक्षण किया,मिट्टी का परीक्षण किया,जैविक खाद बनाने का बताया, सिंचाई के लिए आधुनिक तकनीक बताई और फसल चक्र व मिश्रित खेती करने की सलाह दी।
मुनिया देवी ने अधिकारियों के मार्गदर्शन को ध्यान में रखकर खेती की। उन्होंने उनके कहे अनुसार बीज को कार्बेन्डाजिम 50 WP के 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करके फसलों को पंक्ति में लगाया। कीट को नियंत्रण करने की सलाह मिलती रही, जिसका परिणाम ये हुआ कि उनके खेती में लागत कम आई।

वे अपने 4 एकड़ ज़मीन में मुख्य रूप से टमाटर,मक्का अरहर लगाती हैं, पर और बहुत सी फसलें भी उनके खेत में लगाई जाती हैं। वे मिश्रित खेती करती हैं, जैसे अरहर के साथ ज्वार,जिसके वजह से फसल चक्र सही रहता है और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
आमदनी हो गई है दोगुनी
उन्होंने बताया कि उनकी सभी फसलों से आमदनी पहले से बेहतर हो रही है, पर टमाटर की फसल के उत्पादन से उनकी आमदनी दोगुनी हो गई है। पहले उन्हें 150 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन हो पता था, जिससे आमदनी रु 45,000 तक हो जाती थी,पर अब उत्पादन बढ़कर 275 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुँच गया है और आमदनी रु 82,500 प्रति एकड़ हो गई है। व्यापारी उनके फसल उनके खेत से ही खरीद कर ले जाते हैं और उनके फसल कोलकाता और बनारस तक जाते हैं, जिससे उन्हें नकद पैसे मिल जाते हैं।
खेती के अलावा वे बकरी पालन और मुर्गी पालन भी करती हैं। इससे उनकी आमदनी तो बढ़ी ही है साथ ही जैविक खाद के रूप में गोबर और मुर्गी की बीट भी मिल जाती है, जो की उनके खेत में उपयोग हो जाता है।
मुनिया देवी की सफलता ने यह साबित किया है कि अगर सरकारी योजनाओं का सही से उपयोग किया जाए और नई तकनीक को अपनाई जाए तो, खेती एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन सकती है।
