Toll Rules: भारतीय टोल कलेक्शन प्रणाली में एक नया अध्याय जुड़ गया है. अब जीएनएसएस के माध्यम से टोल कलेक्शन की प्रक्रिया को अमल में लाया गया है. इस नई व्यवस्था के तहत वाहन चालकों को टोल गेट पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि टोल राशि सीधे उनके खाते से कट जाएगी जब वे टोल जोन से गुजरेंगे. इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि यातायात में भी सुधार होगा.
नई टोल प्रणाली के फायदे
जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के लागू होने से वाहनों की गति में बाधा नहीं पड़ेगी. इससे ईंधन की खपत और वायु प्रदूषण में कमी आएगी क्योंकि वाहन बिना रुके अपनी गति से यात्रा कर सकेंगे. साथ ही, इस प्रणाली से सरकार को राजस्व संग्रहण में भी वृद्धि होगी क्योंकि टोल चोरी की संभावनाएं न्यूनतम हो जाएंगी.
पुरानी टोल नियमों की समस्याएँ और नई प्रणाली का समाधान
पहले की टोल प्रणाली में अक्सर वाहन चालकों को लंबी कतारों में फंसना पड़ता था जिससे उनका समय और ईंधन दोनों बर्बाद होते थे. इसके अलावा कई बार तकनीकी खराबी या मानवीय त्रुटियों के कारण टोल कलेक्शन में अनियमितताएं भी आती थीं. नई जीपीएस आधारित प्रणाली से ये सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी क्योंकि इसमें मानवीय हस्तक्षेप न के बराबर है.
टोल मुक्ति का पुराना नियम और उसकी वास्तविकता
भारतीय टोल नीति में यह प्रावधान था कि अगर कोई वाहन 100 मीटर से अधिक लंबी कतार में फंसा होता है या टोल देने में 10 सेकंड से अधिक समय लगता है, तो वाहन चालक को टोल नहीं देना पड़ता था. हालांकि, इस नियम का लाभ व्यवहार में शायद ही कभी मिलता था. इस नियम के लागू न होने के कारण अक्सर चालकों में निराशा होती थी.
नई व्यवस्था की ओर एक कदम
जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू करके भारत सरकार ने न केवल यात्रा के समय को बचाने का प्रयास किया है बल्कि यातायात प्रबंधन में भी एक बड़ा सुधार किया है. इस प्रणाली के पूरी तरह से क्रियान्वित हो जाने के बाद भारतीय सड़कों पर यात्रा करना और भी आसान और सुविधाजनक हो जाएगा.