अमेरिका और भारत के बीच शुरू हुआ टैरिफ युद्ध (Tariff War) अब वैश्विक व्यापार की सुर्खियों में है। अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिसके असर से भारत के कई अहम सेक्टर्स पर चोट पड़ने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन भारत ने इस झटके को चुनौती मानकर उसे अवसर में बदलने की योजना तैयार कर ली है।
भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी देश को अपनी आर्थिक और व्यापारिक नीतियों को प्रभावित करने नहीं देगी। इसके लिए भारत ने 40 देशों में खास आउटरीच कार्यक्रम (Outreach Program) शुरू करने का ऐलान किया है, ताकि अमेरिकी टैरिफ से संभावित नुकसान की भरपाई हो सके और भारत के टेक्सटाइल व अन्य निर्यात सेक्टर नए बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत कर सकें।
अमेरिकी टैरिफ का असर – कौन से सेक्टर पर सबसे ज्यादा मार?
अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ लगाने से भारत के 48 अरब डॉलर से ज्यादा के निर्यात पर सीधा असर पड़ सकता है। इसमें शामिल प्रमुख सेक्टर हैं:
- टेक्सटाइल और परिधान
- रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery)
- चमड़ा और फुटवियर
- रसायन (Chemicals)
- मशीनरी और उपकरण
इन सेक्टरों का भारत के निर्यात में बड़ा योगदान है और अमेरिका पारंपरिक रूप से इन उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। ऐसे में टैरिफ का सीधा मतलब है कि भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में महंगा हो जाएगा, जिससे वहां की डिमांड घट सकती है और प्रतिस्पर्धी देशों को फायदा मिल सकता है।
भारत की नई रणनीति – 40 देशों में आउटरीच प्रोग्राम
भारत सरकार और निर्यात संवर्धन परिषद (EPC) ने मिलकर एक नई एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन स्ट्रैटेजी तैयार की है। इसके तहत भारत 40 देशों को टारगेट करेगा, जिनमें शामिल हैं:
- यूरोप – जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, यूके
- एशिया – जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, तुर्की
- अमेरिका महाद्वीप – कनाडा, मैक्सिको
- मध्य-पूर्व और खाड़ी देश – यूएई, सऊदी अरब
- अन्य प्रमुख देश – ऑस्ट्रेलिया
इन देशों का संयुक्त टेक्सटाइल और परिधान आयात बाजार 590 अरब डॉलर का है, जबकि भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 5-6% है। भारत का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इस हिस्सेदारी को दोगुना किया जाए।
भारत का टेक्सटाइल सेक्टर – आंकड़ों में ताकत
- भारत का कुल टेक्सटाइल और परिधान बाजार: 179 अरब डॉलर
- घरेलू खपत: 142 अरब डॉलर
- निर्यात: 37 अरब डॉलर
- वैश्विक बाजार: लगभग 800 अरब डॉलर
- भारत की हिस्सेदारी: 4.1% (छठा सबसे बड़ा निर्यातक)
भारत के लिए टेक्सटाइल न केवल निर्यात का प्रमुख स्रोत है बल्कि लाखों लोगों के रोजगार से भी जुड़ा हुआ है। अमेरिका के टैरिफ से यह सेक्टर प्रभावित हो सकता था, लेकिन भारत ने रणनीतिक कदम उठाकर इसका विकल्प ढूंढ लिया है।
EPC और उत्पादन हब की भूमिका
भारत की नई रणनीति में Export Promotion Council (EPC) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। EPC का काम होगा –
- बाजारों का मैपिंग करना
- ज्यादा डिमांड वाले प्रोडक्ट्स की पहचान करना
- भारत के उत्पादन केंद्रों (सूरत, पानीपत, तिरुपुर, भदोही) को नए ग्लोबल मार्केट्स से जोड़ना
- पारंपरिक बाजारों के साथ-साथ नए बाजारों में भी एंट्री दिलाना
FTA और ट्रेड डील्स से बढ़ेगी ताकत
भारत अब सिर्फ अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहता। इसके लिए भारत मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements – FTA) पर भी तेजी से काम कर रहा है। इन FTAs से भारतीय उत्पाद नए देशों में बिना ज्यादा टैक्स/टैरिफ के पहुंच पाएंगे और वहां ज्यादा प्रतिस्पर्धी रहेंगे।
अमेरिका को भारत की रणनीति पर हैरानी
भारत ने जिस तेजी से नई रणनीति लागू की, उसने अमेरिकी अधिकारियों को भी हैरान कर दिया है। अमेरिका को उम्मीद थी कि भारत इस टैरिफ दबाव के चलते झुकेगा, लेकिन भारत ने उल्टा और मजबूत निर्यात रणनीति तैयार कर दी। यह दिखाता है कि भारत अब आर्थिक कूटनीति (Economic Diplomacy) में ज्यादा परिपक्व हो चुका है और किसी भी दबाव में आने वाला नहीं है।
विशेषज्ञों की राय
ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की यह रणनीति न केवल अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक टेक्सटाइल और परिधान सेक्टर में एक मजबूत खिलाड़ी बनाएगी।
- भारत की निर्यात हिस्सेदारी 5% से बढ़कर 10% तक पहुंच सकती है।
- छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) को भी नए बाजारों तक पहुंचने का मौका मिलेगा।
- भारत का लक्ष्य 2030 तक टेक्सटाइल और परिधान निर्यात को 100 अरब डॉलर तक ले जाना है।
निष्कर्ष
अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद भले ही भारत के लिए चुनौती बनकर आया हो, लेकिन भारत ने इसे अवसर में बदल दिया है। 40 देशों में आउटरीच प्रोग्राम, EPC की रणनीति, FTAs और नई साझेदारियों के जरिए भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा।
यह कदम न केवल भारत की आर्थिक लचीलापन (Economic Resilience) दिखाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि भारत अब वैश्विक व्यापार में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरने के लिए पूरी तरह तैयार है।