Mirch Ki Kheti: सर्दियों में हरी मिर्च की खेती बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि बाजार में इसकी मांग हमेशा रहती है और अच्छे दाम मिलते हैं। लेकिन इस मौसम में एक बड़ा खतरा है लीफ कर्ल वायरस या पत्ता गोठना रोग। अगर यह लग गया तो पत्तियां छोटी होकर मुड़ जाती हैं, पीली पड़ जाती हैं और पूरी फसल की बढ़वार रुक सकती है। कई बार तो उत्पादन आधे से भी कम हो जाता है या पूरी तरह बर्बाद हो जाती है।
शाहजहांपुर जैसे इलाकों में किसान इस समस्या से काफी परेशान रहते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि समय पर पहचान और सही उपाय से इसे आसानी से रोका जा सकता है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक जैसी विशेषज्ञों की सलाह मानें तो आपकी मेहनत सुरक्षित रह सकती है।
यह वायरस ठंड के दिनों में ज्यादा फैलता है क्योंकि सफेद मक्खी नाम का कीट सक्रिय हो जाता है। यही कीट वायरस को एक पौधे से दूसरे तक पहुंचाता है। एक बार संक्रमण हो गया तो पौधा सूरज की रोशनी का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता, फल कम बनते हैं और क्वालिटी भी खराब हो जाती है।
रोग के लक्षण कैसे पहचानें?
किसान भाई, खेत में रोज घूमकर फसल देखते रहें। लीफ कर्ल वायरस के शुरुआती संकेत हैं नई पत्तियां छोटी रह जाती हैं, ऊपर की तरफ मुड़कर गोठने लगती हैं। पत्तियां पीली या हल्की हरी हो जाती हैं, कभी-कभी उन पर धब्बे भी दिखते हैं। पौधे की ऊंचाई नहीं बढ़ती, फूल और फल कम आते हैं। अगर ठंड में ऐसे लक्षण दिखें तो समझ जाएं कि वायरस का हमला हो गया है। जितनी जल्दी पता चलेगा, उतना आसान होगा नियंत्रण।
वायरस क्यों और कैसे फैलता है?
मुख्य वजह है सफेद मक्खी। यह छोटा कीट पौधे का रस चूसता है और वायरस को साथ लेकर चलता है। ठंड में नमी और कुहासा रहने से मक्खी की संख्या बढ़ जाती है। इसके अलावा संक्रमित नर्सरी से पौध रोपना या आसपास के खेतों से हवा के जरिए भी फैलाव होता है। अगर नर्सरी में ही सावधानी न बरती तो पूरी फसल खतरे में पड़ जाती है।
बचाव और नियंत्रण के कारगर तरीके
सबसे अच्छा है रोकथाम। नर्सरी तैयार करते समय ही जाली या नेट का इस्तेमाल करें ताकि सफेद मक्खी अंदर न घुस सके। स्वस्थ और प्रमाणित बीज या पौध ही लगाएं। खेत में पौधों की दूरी सही रखें ताकि हवा अच्छी चले और नमी कम रहे।
अगर लक्षण दिखें तो तुरंत कार्रवाई करें। शुरुआत में जैविक तरीका आजमाएं नीम तेल का घोल बनाकर (नीम ऑयल 5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़काव करें। यह सफेद मक्खी को भगाता है और सुरक्षित भी है। अगर संक्रमण ज्यादा फैल गया हो तो रासायनिक दवा जैसे इमिडाक्लोप्रिड या मोनोक्रोटोफॉस का इस्तेमाल करें, लेकिन सही मात्रा और विशेषज्ञ की सलाह से।
सबसे जरूरी संक्रमित पौधे को जड़ समेत उखाड़कर खेत से बाहर जला दें या गाड़ दें। इससे वायरस आगे नहीं फैलेगा। नियमित रूप से खेत की निगरानी करें और मक्खी दिखते ही नियंत्रण शुरू कर दें।
किसान भाइयों, डॉ. पुनीत कुमार पाठक की सलाह है कि जैविक और रासायनिक दोनों तरीकों का संतुलित इस्तेमाल करें। समय पर उपाय करने से फसल स्वस्थ रहेगी और मुनाफा अच्छा मिलेगा। अगर कोई समस्या हो तो नजदीकी उद्यान विभाग या कृषि केंद्र से संपर्क करें। ठंड गुजर जाएगी, लेकिन सतर्कता से आपकी मिर्च की फसल चमकदार और भरपूर रहेगी।
