Trimbakeshwar Temple In Hindi : त्र्यंबकेश्वर मंदिर नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर तहसील के त्र्यंबक नगर में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर (Old Temple) है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भारत में स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक के परिसर में एक कुंड (पवित्र तालाब) कुशावर्त, प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी (Longest River) गोदावरी का स्रोत है। यह मंदिर ब्रह्मगिरि पहाड़ियों के तल पर स्थित है। ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि इसमें भगवान ब्रह्मा, विष्णु और भगवान रुद्र के प्रतीक (Symbol) तीन चेहरे समाहित हैं। यह मंदिर नासिक शहर से 28 किमी दूर है। प्राचीन काल से ही यह मंदिर काफी लोकप्रिय है जिसके कारण यहां दूर दूर से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
यदि आप अपनी फैमली या फ्रेंड्स के साथ त्र्यंबकेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाले है या फिर इस मंदिर से जुडी जानकारी को जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
1. त्रिम्बकेश्वर शिव मंदिर को किसने बनवाया था – Trimbakeshwar Shiv Mandir Ko Kisne Banwaya Tha In Hindi
त्रिम्बकेश्वर शिव मंदिर को पेशवा नानासाहेब द्वारा बेसाल्ट (Basalt) से बनवाया गया था। माना जाता है कि पेशवा ने एक शर्त लगाई थी कि ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है या नहीं। पत्थर खोखला साबित हुआ और शर्त हारने पर पेशवा ने वहां एक अद्भुत मंदिर (Marvelous Temple) बनवाया। मंदिर के देवता शिव को विश्व प्रसिद्ध नासक डायमंड (Nassak Diamond) से बनाया गया। इस मंदिर को तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध में अंग्रेजों ने लूट लिया था। लूटा गया हीरा वर्तमान में ग्रीनविच, कनेक्टिकट (Connecticut), यूएसए के ट्रकिंग फर्म के कार्यकारी एडवर्ड जे हैंड के पास है।
2. त्रयंबकेश्वर मंदिर नासिक का इतिहास – History Of Trimbakeshwar Temple Nasik In Hindi
किवदंतियों के अनुसार एक बार त्र्यंबकेश्वर में अकाल (Famine) पड़ा जो चौबीस सालों तक रहा। इसके चलते लोग भूख से मरने लगे। हालांकि, बारिश के देवता (God Of Rains) वरुण ऋषि गौतम से प्रसन्न थे और इसलिए त्र्यंबकेश्वर में सिर्फ उन्हीं के आश्रम में ही रोजाना बारिश करवाते थे। अकाल के कारण ऋषियों ने उनके आश्रम में शरण ली। ऋषियों के आशीर्वाद से गौतम की श्रेष्ठता (Merit ) बढ़ने लगी जबकि भगवान इंद्र की प्रसिद्धि कम होने लगी। परिणामस्वरूप, इंद्र ने अकाल खत्म करके पूरे गांव में वर्षा करा दिया। फिर भी गौतम ने ऋषियों को भोजन कराना जारी रखा और अपनी श्रेष्ठता (Virtue) बढ़ाते रहे।
एक बार, एक गाय उनके खेत में आई और फसल (Crop) पर चरने लगी। इससे गौतम नाराज हो गये और उन्होंने दरभा (नुकीली घास) को गाय के ऊपर फेंक दिया। जिसके कारण गाय मर गयी। वास्तव में वह गाय देवी पार्वती की सहेली जया थी। यह खबर सुनकर सभी ऋषियों ने गौतम के आश्रम में भोजन करने से इनकार कर दिया। गौतम को अपनी मूर्खता (Folly) का एहसास हुआ और उन्होंने ऋषियों से प्रायश्चित (Forgiveness) करने का तरीका पूछा। तब ऋषियों ने उन्हें गंगा में स्नान करने की सलाह दी। गौतम ने ब्रह्मगिरि के शिखर (Brahmgiri Feet) पर जाकर भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे उन्हें गंगा प्रदान करें। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्होंने गंगा नदी को पृथ्वी पर नीचे आने का आदेश दिया। ब्रह्मगिरी पहाड़ी से बहने वाली नदी को गौतम ऋषि ने इसे एक कुंड में भी फँसा दिया, जिसे कुशावर्त (Kushavarta) कहा जाता है। तब, ऋषि ने भगवान शिव से वहां निवास करने का अनुरोध किया। उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए प्रभु वहाँ रहने के लिए लिंग में बदल गए।
3. त्र्यम्बकेश्वर दर्शन और पूजा का समय – Trimbakeshwar Darshan And Puja Timing In Hindi
नासिक के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 6 बजे खुलता है और रात्रि में 9 बजे बंद हो जाता है। इस मंदिर में पूरे दिन विभिन्न तरह की पूजा और आरती होती रहती है। हम आपको त्र्यंबकेश्वर मंदिर में होने वाली कुछ मुख्य पूजा (Special Pooja) के बारे में बताने जा रहे हैं।
त्रिम्बकेश्वर शिव मंदिर की प्रसिद्ध पूजा – महामृत्युंजय पूजा
यह पूजा पुरानी बीमारियों से छुटकारा पाने और एक स्वस्थ जीवन के लिए की जाती है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में महामृत्युंजय पूजा सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच होती है।
रुद्राभिषेक की पूजा त्रिम्बकेश्वर शिव मंदिर में
यह अभिषेक पंचामृत यानि दूध, घी, शहद, दही और शक्कर के साथ किया जाता है। इस दौरान कई मंत्रों और श्लोकों का पाठ भी किया जाता है। यह 7:00 से 9:00 बजे के बीच भी किया जाता है।
त्रिम्बकेश्वर मदिर की लघु रुद्राभिषेक की पूजा
यह अभिषेक स्वास्थ्य (Health) और धन की समस्याओं (Monetary Problem) को हल करने के लिए किया जाता है। यह कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को भी दूर करता है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की मुख्य पूजा महा रुद्राभिषेक पूजा
इस पूजा में मंदिर में ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद का पाठ किया जाता है।
काल सर्प पूजा त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र
यह पूजा राहु और केतु की दशा को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। काल सर्प दोष से ग्रसित लोग इससे मुक्ति पाने के लिए अनंत कालसर्प, कुलिक कालसर्प, शंखापान कालसर्प, वासुकी कालसर्प, महा पद्म कालसर्प और तक्षक कालसर्प (Takshak Kaal Sarp) नाम की पूजा की जाती है।
त्रयंबकेश्वर मंदिर नासिक में नारायण नागबली पूजा
यह पूजा पितृ दोष (Pitru Dosh) और परिवार पर पूवर्जों के श्राप से बचने के लिए किया जाता है।
यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर लोग काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा कराते हैं। अगर आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए आना चाहते हैं और आपके पास पर्याप्त समय है तो आपको ऐसे समय में यहां आना चाहिए जब मंदिर में त्योहार और उत्सव का सीजन हो। इसका कारण यह है कि इस मंदिर में मनाए जाने वाले सभी त्योहार बहुत प्रसिद्ध हैं जिन्हें देखना अद्भुत (Wondrous) होता है।
4. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Trimbakeshwar Jyotirlinga Nashik In Hindi
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है क्योंकि इन महीनों में सर्दियां हल्की होती हैं। यह यात्रियों के लिए पीक सीजन है। इस दौरान यहां सभी चीजें महंगी (Expensive) होती हैं और भीड़ भी बहुत ज्यादा होती है। हालांकि, यदि आपके पास कम बजट है, तो मानसून का मौसम आपके लिए उपयुक्त है। आप जुलाई से सितंबर के बीच यहां आ सकते हैं। इसके अलावा श्रद्धालु पूरे साल इस मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं इसलिए आपको जब भी समय मिले आप यहां जाने की प्लानिंग कर सकते हैं।
5. त्र्यंबकेश्वर शहर में कहां रुकें – Where To Stay Near Trimbakeshwar In Hindi
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर अतिप्राचीन मंदिर है इसलिए यहां हमेशा पर्यटक (Tourists) दर्शन करने के लिए आते रहते हैं। त्र्यंबक में पर्यटकों को ठहरने के लिए सस्ते और महंगे दोनों कीमतों में होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध है। आप यहां होटल सम्राट, होटल रॉयल हेरिटेज, सिटी प्राइड होटल, होटल पंचवटी यात्री, होटल मिड टाउन इन, होटल रामा हेरिटेज, होटल राजमहल, होटल शांतिदत्ता इन सहित अन्य फाइव स्टार और लक्जरी होटलों में रुक सकते हैं।
6. महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर कैसे पहुंचें – How To Reach Trimbakeshwar Temple Maharashtra In Hindi
त्र्यंबकेश्वर नासिक के पास स्थित है। यह नासिक के मुख्य शहर के केंद्र से सिर्फ 30.3 किमी दूर है। आप रोडवेज के माध्यम से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप त्र्यंबकेश्वर पहुँचने के लिए बस या टैक्सी (Taxi) का भी सहारा ले सकते हैं। हालाँकि, नासिक से त्र्यंबकेश्वर की यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका सड़क मार्ग है, और यहां पहुंचने में लगभग 41 मिनट का समय लगता है।
6.1 ट्रेन से त्र्यंबकेश्वर कैसे पहुंचें – How To Reach Trimbakeshwar Temple By Train In Hindi
त्र्यंबकेश्वर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड रेलवे स्टेशन (NK) है जो लगभग 177 किमी दूर है। आप मुंबई या भारत के किसी अन्य शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। इसके बाद यहां से टैक्सी लेकर त्र्यंबकेश्वर जा सकते हैं।
6.2 हवाई जहाज से त्रिम्बकेश्वर कैसे पहुंचें – How To Reach Trimbakeshwar Temple By Flight In Hindi
त्र्यंबकेश्वर में कोई हवाई अड्डा (Airport) नहीं है और निकटतम हवाई अड्डा नासिक है। गांधीनगर हवाई अड्डा यहां से 31 किमी दूर है और मुंबई से भी अच्छी तरह से जुड़ा (Connect) हुआ है। नासिक हवाई अड्डे से आप त्रयंबकेश्वर के लिए आप टैक्सी किराए पर लेकर यहां पहुंच सकते हैं।
6.3 बस से त्र्यंबकेश्वर कैसे पहुंचें – How To Reach Trimbakeshwar Temple By Bus In Hindi
त्र्यंबकेश्वर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से पूणे और मुंबई से जुड़ा हुआ है। आप इन शहरों से राज्य परिवहन की बसों, लक्जरी बसों या फिर टैक्सी से त्रयंबकेश्वर पहुंच सकते हैं।
इस लेख में आपने त्र्यंबकेश्वर मंदिर का इतिहास और मंदिर की यात्रा से जुड़ी जानकारी को विस्तार से जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।