दिल्ली-लखनऊ स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन से जुड़ा हुआ मामला सामने आया है। जिससे अफसर भी हैरान हैं। दिल्ली से लखनऊ जा रही ट्रेन जब इटावा स्टेशन पर रुकी तो कई यात्री कोच से उतरकर भाग गए।जिसमें रेलवे स्टाफ की ओर से ही चलती ट्रेन में उगाही का रैकेट चलाने की घटना को अंजाम दिया गया है। रनिंग ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इंडियन रेलवे की होती है.
रेलवे इसके लिए हमेशा प्रयासरत भी रहता है। इसमें साथ ही वेटर और अटेंडेंट के शामिल होने का खुलासा हुआ है.। प्रीमियम ट्रेन होने के बावजूद पैसेंजर्स की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था. रेलवे के दो विभागों की टीम ने इस पूरे खेल का राजफाश किया है.
एक अन्य मामले में यात्रियों को एक्सेस फेयर टिकट जारी किए बिना ही 2000 से 3000 रुपये वसूलने की बात सामने आई है. इंडियन रेलवे ने दोनों मामलों की जांच के आदेश दिए हैं।
मैनेजर दिनेश कपिल को दिल्ली-लखनऊ शताब्दी ट्रेन में बड़ी तादाद में बेटिकट यात्रियों के होने की सूचना मिली थी. इसके बाद उन्होंने तत्काल अपने सीनियर डिप्टी चीफ ट्रैफिक मैनेजर अमित सुदर्शन से संपर्क किया. आनन-फानन में असिस्टेंट कमर्शियल मैनेजर एके सिन्हा की अगुआई में एक टीम गठित की गई.
टीम में एक महिला और एक पुरुष को भी शामिल किया गया था। जांच के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलता है और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि दिवाली से पहले 29 अक्टूबर 2024 को सीनियर अफसरों को दिल्ली-लखनऊ शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में बेटिकट यात्रियों के होने की गोपनीय सूचना मिली थी. कथित तौर पर मिलिभगत कर ये लोग प्रीमियम ट्रेन में बिना टिकट लिए ही सवार हो गए थे. आरोप है कि एवज में इनलोगों से पैसे लिए थे।
दिल्ली-लखनऊ शताब्दी एक्सप्रेस में चीफ ट्रेन टिकट एग्जामिनर ने बेटिकट यात्रियों के साथ मिलिभगत कर उन्हें प्रीमियम ट्रेन में चढ़ने की इजाजत दे दी. नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि बेटिकट यात्रियों कि बीच साठगांठ और पैसेंजर्स से ज्यादा वसूलने के मामले रेलवे के संज्ञान में आए हैं।