आर्यमान बिरला, जो कि दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेटर माने जाते हैं, ने महज 22 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। यह निर्णय उनके लिए एक बड़ा मोड़ साबित हुआ है, क्योंकि उन्होंने न केवल क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा, बल्कि अपने परिवार की विरासत को भी आगे बढ़ाने का कार्य किया है।
आर्यमान बिरला का क्रिकेट करियर
आर्यमान बिरला का जन्म जुलाई 1997 में मुंबई में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत मध्य प्रदेश के रीवा से की। उन्होंने 2017 में रणजी ट्रॉफी में ओडिशा के खिलाफ अपने पहले-class मैच में पदार्पण किया। इस मैच में उन्होंने 72 रन की साझेदारी की थी, लेकिन उनके व्यक्तिगत स्कोर केवल 16 और 6 रन थे। हालांकि, एक साल बाद, उन्होंने बंगाल के खिलाफ ईडन गार्डन्स पर 103 नाबाद रन बनाकर अपनी प्रतिभा को साबित किया, जो कि उनके करियर का एक महत्वपूर्ण क्षण था.
आर्यमान को 2018 में राजस्थान रॉयल्स द्वारा आईपीएल में चुना गया था, लेकिन वह कभी भी पहली टीम में जगह नहीं बना पाए। वह दो सत्रों तक टीम के साथ रहे, लेकिन चोटों के कारण वह खेल नहीं सके और जनवरी 2019 से सक्रिय क्रिकेट से दूर हो गए.
संन्यास का निर्णय
दिसंबर 2019 में, आर्यमान ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के माध्यम से क्रिकेट से “अनिश्चितकालीन ब्रेक” लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मैंने महसूस किया कि मैं फंसा हुआ महसूस कर रहा हूं। मैंने अब तक सभी तनावों को सहन किया है, लेकिन अब मुझे अपनी मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है”. यह निर्णय उनके लिए कठिन था, क्योंकि वह एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं और उन पर हमेशा उच्च उम्मीदें थीं।
वित्तीय स्थिति
आर्यमान बिरला की कुल संपत्ति लगभग ₹70,000 करोड़ (लगभग $8.4 अरब) आंकी गई है, जो उन्हें सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ियों से भी आगे रखती है. उनके पिता कुमार मंगलम बिरला आदित्य बिरला समूह के अध्यक्ष हैं, जो भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक है।
भविष्य की योजनाएँ
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, आर्यमान ने अपने परिवार के व्यवसाय में शामिल होने का निर्णय लिया और वर्तमान में आदित्य बिरला समूह के विभिन्न बोर्डों पर निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। वह भविष्य में इस समूह को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे.
आर्यमान बिरला का संन्यास लेना एक महत्वपूर्ण घटना है जो यह दर्शाता है कि कभी-कभी खेल और व्यवसाय के बीच चयन करना आवश्यक होता है। उनकी कहानी न केवल युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना कितना महत्वपूर्ण है।