खरीफ की धान की फसल लगाई जा रही है। इन दिनों धान की फसल पर तना छेदक और पत्ता लपेटक कीट हमला कर रहे हैं। इन कीटों पर नियंत्रण करना किसानों के लिए बड़ी चुनौती है।
अगर समय रहते इन रोगों की रोकथाम नहीं की गई तो किसानों की फसल को नुकसान हो सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पौध संरक्षण रोग विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि तना छेदक कीट धान के पौधे के भुट्टे में छेद कर देता है और उसे खाने लगता है।
जिसके बाद भुट्टा सूखने लगता है। धीरे-धीरे यह दूसरे भुट्टे पर भी हमला कर देता है और पूरे पौधे को नष्ट कर देता है। वहीं पत्ता लपेटक कीट पत्ती को अपनी लार से चिपकाकर नली जैसा बना देता है।
यह कीट पत्ती के क्लोरोफिल को खा जाता है। पत्ती में सफेद धारियां बनने लगती हैं, जिसके बाद पत्ती सूख जाती है। एक दवा से दो पीढ़ियां नष्ट हो जाएंगी डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि इन दोनों कीटों की रोकथाम के लिए किसान कार्टोप हाइड्रोक्लोराइड 4जी नामक कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं।
एक एकड़ के लिए 8 किलो कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी रेत में मिलाकर खेत में फैला दें। किसान ध्यान रखें कि इस दवा का इस्तेमाल रोपाई के 30 दिन के अंदर कर लेना चाहिए। ऐसा करने से तना छेदक और पत्ती मोड़क कीटों की पहली और दूसरी पीढ़ी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
अगर कीट फिर से दिखें तो क्या करें?
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि अगर पत्ती मोड़क कीट फिर भी दिखें तो कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी नामक दवा का छिड़काव कर सकते हैं।
किसान 500 मिली दवा का 400 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर फसल में छिड़काव करें। इससे पत्ती मोड़क और पत्ती मोड़क कीट नष्ट हो जाएंगे।