धान की खेती में अच्छा उत्पादन पाने के लिए कुछ जरुरी बातें का खास ध्यान रखना आवश्यक होता है जिससे खेती में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
धान की फसल
धान की रोपाई के 60 से 65 दिनों के बाद बाली निकलने और दाने बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ये समय पौधों के लिए काफी नाजुक और महत्वपूर्ण चरण माना जाता है इस समय फसल पर निगरानी रखना, उचित कीटनाशक दवा का स्प्रे और उचित प्रबंधन काफी जरुरी होता है इस समय फसल में कीटों का प्रकोप बढ़ने लगता है जिससे बचने के लिए किसान कई कीटनाशक का प्रयोग करते है लेकिन उचित मात्रा में सही तरिके से छिड़काव न करने से वजह से फसल को भारी नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए किसी भी प्रकार की खाद या कीटनाशक का उपयोग करने से पहले प्रोडक्ट पर लिखे लेबल और लीफलेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़कर करना चाहिए। इसके बाद ही इस्तेमाल करना चाहिए।

सिंचाई पर रखें विशेष ध्यान
सितंबर का महीना धान की फसल की ग्रोथ के लिए बहुत अहम होता है इस समय अधिक सिंचाई से बचना चाहिए और हल्की सिंचाई करना चाहिए। शाम के समय हल्की सिंचाई करना अधिक लाभदायक साबित होता है। सिंचाई के दौरान खेत में जलभराव से बचना चाहिए। इससे जड़ें कमजोर हो सकती है और फसल गिर सकती है इसलिए इन दिनों फसल की खास देखभाल करना चाहिए जिससे फसल गिरने से बचती और उत्पादन सुरक्षित रहता है।
सितंबर में इस खाद का न करें उपयोग
धान की फसल सितंबर के महीने में 50-60 दिन की हो जाती है 50-60 की अवस्था पर फसल में ज्यादा यूरिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए अत्यधिक उपयोग से फसल में बीमारी, फंगस और हानिकारक कीड़े लगने का खतरा बढ़ने लगता है। कुछ कीट फसल की पत्तियों को चट कर जाते है और पत्तियों का रस चूसने लगते है। जिससे धान के पौधों के विकास पर खराब असर पड़ता है और पैदावार में गिरावट होती है।
खरपतवारों से बचाव
धान की फसल में बालियां निकलने के समय खरपतवारों पर खास नियंत्रण के उपाय करना चाहिए। खरपतवार फसल के पोषक तत्व को खिंच लेते है और पौधों को सूखा देते है। जिससे धान की पैदावार में गिरवाट होने के चांसेस बढ़ जाते है।